कर देती है दूर हर मुश्किल मेरी,
बस एक मीठी सी मुस्कुराहट तेरी |
थक-हार कर संध्या जब घर आता हूँ,
बस देख कर तुझको मैं चहक जाता हूँ|
देखकर हर दिखावे से दूर तेरे नैनों को,
पंख मिल जाता है मेरे मन केमैनों को |
जब गोद में लेके तुम्हे खिलाता हूँ,
सच, मैं स्वयंस्वर्गीय आनंद पाता हूँ |
नन्हें हाथों से तेरा यूँ ऊँगली पकड़ना,
लगता है मुझे स्वयं इश्वर का जकड़ना |
आज हो गयी है तू छः मास की,
बाग़ खिलने लगा है मन मेंआस की |
पर " परी" जब भी तू रोती है,
हृदय में एक पीड़ा-सी होती है |
देखकर मुझे बरबस खिलखिला देती हो,
पुलकित कर देती हो, झिलमिला देती हो |
कर देती है दूर हर मुश्किल मेरी,
बस एक मीठी सी मुस्कुराहट तेरी |
15 टिप्पणियां:
बहुत प्रशंसनीय....
सुन्दर ..अति सुन्दर !!
kalamdaan.blogspot.com
उम्दा लिखा है |
बहुत बढ़िया लिखा है |
betiyan pita ka abhiman hoti haen or sabse jyada pyaari hotin haen.
अति सुन्दर...
vikram7: हाय, टिप्पणी व्यथा बन गई ....
बहुत सुन्दर, आपने सही कहा बेटी परिवार के स्नेह का केन्द्र बिन्दु और कई रिश्तो का मूल होती है।
सुन्दर भाव...
बेटी तुम जीवन का धन हो,
इस आंगन का स्वर्ण सुमन हो ॥
नन्ही सी बिटिया की मुस्कान हर दर्द भुला देती है...
कर देती है दूर हर मुश्किल मेरी,
बस एक मीठी सी मुस्कुराहट तेरी |
tere ghar aayi ek nanhi pari...!!
नन्हें हाथों से तेरा यूँ ऊँगली पकड़ना,
लगता है मुझे स्वयं इश्वर का जकड़ना
सुन्दर भाव
आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ।
बिटिया से ही घर पूर्ण बनता है और स्वर्ग भी. बहुत सुंदर रचना.
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