बीवी और शौहर
रात भर जागी बीवी दर्द से जो तडपा शौहर ;
कभी बीवी के लिए क्यों नहीं जगता शौहर ?
करे जो काम बीवी फ़र्ज़ हैं उसको कहते ;
अपने हर एक काम को अहसान क्यों कहता शौहर ?
रहो हद में ये हुक्म देता बीवी को ;
मगर खुद पर कोई बंदिश नहीं रखता शौहर .
नहीं है हक़ बीवी को उठा के देख ले आँखें ;
जरा सी बात पर क्यों हाथ उठाता शौहर ?
शौहर के लिए दुनिया छोड़ देती बीवी ;
दुनिया के कहने पर उसी को छोड़ता शौहर .
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
रात भर जागी बीवी दर्द से जो तडपा शौहर ;
कभी बीवी के लिए क्यों नहीं जगता शौहर ?
करे जो काम बीवी फ़र्ज़ हैं उसको कहते ;
अपने हर एक काम को अहसान क्यों कहता शौहर ?
रहो हद में ये हुक्म देता बीवी को ;
मगर खुद पर कोई बंदिश नहीं रखता शौहर .
नहीं है हक़ बीवी को उठा के देख ले आँखें ;
जरा सी बात पर क्यों हाथ उठाता शौहर ?
शौहर के लिए दुनिया छोड़ देती बीवी ;
दुनिया के कहने पर उसी को छोड़ता शौहर .
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
8 टिप्पणियां:
रहो हद में ये हुक्म देता बीवी को ;
मगर खुद पर कोई बंदिश नहीं रखता शौहर .
सुन्दर चित्रण
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http://dilkikashmakash.blogspot.com/
सार्थक प्रश्न ... अनुत्तरित भी..
सुन्दर प्रस्तुति.....
इंडिया दर्पण की ओर से नववर्ष की शुभकामनाएँ।
अब कहां एसा होता है....
---आखिर क्या चाहती है बीबी ....
Satik sawal...karara vyang...
bahut khoob...
www.poeticprakash.com
बहुत बढ़िया शिखा जी...
इन सवालों के कोई जवाब नहीं है...
बहुत खूब.
वाह शिखा जी, बहुत बढ़िया लिखा है आपने । कुछ लोग ऐसे हो सकते हैं पर निजी तौर पे मैं ऐसा शौहर बिलकुल नहीं हूँ ।
इतने दिनो तक आपके ब्लॉग में न आ पाने के लिए क्षमा ।
शोहर और बीबी के रिश्ते पर कहीं कहीं कोमलता के स्थान पर शक्ति प्रदर्शन से अपनी बात मनवाने
का दंभ हावी होता ही है....जो नहीं होना चाहिए ....चिंतन को विवश करती अभिव्यक्ति ...सादर
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