माँ का ललना |
झूले पलना ||
समय समय पर
दूध पिलाती |
जीवन खातिर-
दूध पिलाती |
जीवन खातिर-
हाड़ गलाती |
दीप शिखा सी
हर-पल जलना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
आयु बढती--
ताकत घटती |
पति-पुत्र में -
बंटती-मिटती |
आज बिकल है -
कल भी कल-ना ||
आयु बढती--
ताकत घटती |
पति-पुत्र में -
बंटती-मिटती |
आज बिकल है -
कल भी कल-ना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
आया रिश्ता-
बेटा बिकता |
धीरे-धीरे--
माँ से उकता |
होती परबस-
डरना-मरना ||
आया रिश्ता-
बेटा बिकता |
धीरे-धीरे--
माँ से उकता |
होती परबस-
डरना-मरना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
हो एकाकी ,
पोते-पोती
हो एकाकी ,
साँसे बाकी |
बनती जोती |
हाथ छुड़ा के --
फिर घर चलना ||
माँ का ललना |
हाथ छुड़ा के --
फिर घर चलना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
6 टिप्पणियां:
सुन्दर भावाव्यक्ति।
सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई
शिक्षक दिवस की बधाइयाँ
मनोभावों की सार्थक प्रस्तुति .माँ का जीवन ऐसा ही तो होता है .आभार
bahut sundar post,aabhaar
समय समय पर
दूध पिलाती |
जीवन खातिर-
हाड़ गलाती |
दीप शिखा सी
हर-पल जलना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
ati sundar bhaav saabhaar
bahut sunder laajabaab.
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