लक्ष्मण रेखा लांघती, लिए हथेली जान
बीस निगाहें घूरती, खुद रावण पहचान
खुद रावण पहचान, नहीं ये तृण से डरता
मर्यादा को भूल, हवस बस पूरी करता
संगीता की सीख, ठीक पहचानो रावण
खींचो खुदकी रेख, कहाँ ले खींचे लक्ष्मण
इसको भी क्लिक कर दें ---बेचारा
मुलायम सी लक्ष्मण-रेखा लांघ बैठा
5 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर दोहे बनाये और सही कहा।
बहुत ही बढ़िया
बेहतरीन दोहे !ऐसे ही थोड़ी न कहा गया है औरत के पास एक सिक्स्थ सेन्स होता है .काश भारतीय राजनीति के पास भी होता .
बेहतरीन दोहे !ऐसे ही थोड़ी न कहा गया है औरत के पास एक सिक्स्थ सेन्स होता है .काश भारतीय राजनीति के पास भी होता .संगीता जी और रविकर जी दोन को बधाई !
raam jaisaa mahaan raja apni bharya ko jangal me kaise bhej sakta hai ?? kyaa ye sidhant unke mahaourush ka laxan hai ? nahi sab kol kalpit baten hain! kuchh sachchi kuchh apne man se gadhi hui!! sargarbhit lekha hai aapka
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