वो पुरुष ही क्या जिसमे पौरुष के न हो दर्शन ,
विवश हो जिसके समक्ष नारी स्वयं कर दे समर्पण !
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नीच दुष्ट राक्षस पिशाच की श्रेणी के नर ,
पौरुषहीन ही हैं करते बलात स्त्री का हरण !
विवश हो जिसके समक्ष नारी स्वयं कर दे समर्पण !
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जिसका बुद्धि और भुजबल आकृष्ट कर ले नारी चित्त ,
उत्सुक सरिता बह चले अर्णव से करने को मिलन !
विवश हो जिसके समक्ष नारी स्वयं कर दे समर्पण !
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जिस नर में हो धीरता ,उदारता व् वीरता ,
उसके प्रति नारी उर में पनप जाता है आकर्षण !
विवश हो जिसके समक्ष नारी स्वयं कर दे समर्पण !
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पुरुषों में उत्तम कहे जाते हैं श्री राम क्यूँ ?
नारी के सम्मान हेतु काट देते हैं दशानन !
विवश हो जिसके समक्ष नारी स्वयं कर दे समर्पण !
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कृष्णा की पुकार पर दौड़कर पधारते ,
पूर्ण-पुरुष कहलाते है इसीलिए राधेकृष्ण ,
विवश हो जिसके समक्ष नारी स्वयं कर दे समर्पण !
शिखा कौशिक 'नूतन '
3 टिप्पणियां:
very nice expression .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
क्या बतलाऊँ अपना परिचय ..... - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004
थोडी सी सावधानी रखे और हैकिंग से बचे
क्या बात है...क्या बात है ...अति-सुन्दर ..व सार्थक-सटीक...
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