शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

वह आदि-शक्ति...डा श्याम गुप्त ...


भारत माता



ब्रह्मा-सावित्री, विष्णु-लक्ष्मी, शिव-शक्ति
वह नव विकसित कलिका बनकर,
सौरभ कण वन -वन विखराती।
दे मौन निमन्त्रण, भ्रमरों को,
वह इठलाती, वह मदमाती

वह शमा बनी झिलमिल झुलमिल ,
झकृत  करती तन -मन को ।
ज्योतिर्मय, दिव्य, विलासमयी ,
कम्पित करती निज़ तन को ॥

अथवा तितली बन पन्खों को,
त्रिदेवी
झिलमिल झपकाती चपला सी
इठलाती, सबके मन को थी,
बारी बारी से बहलाती ॥

या बन बहार निर्ज़न वन को,
हरियाली से नहलाती है।
चन्दा की उज़ियाली बनकर,
सबके मन को हरषाती है ॥

वह घटा बनी जब सावन की,
रिमझिम रिमझिम बरसात हुई।
मन के कौने को भिगो गई,
दिल में उठकर ज़ज़्वात हुई ॥

वह क्रान्ति बनी गरमाती है,
वह भ्रान्ति बनी भरमाती है।
सूरज की किरणें बनकर वह,
पृथ्वी पर रस बरसाती है॥

कवि की कविता बन अन्तस में
कल्पना रूप में लहराई
बन गई कूक जब कोयल की,
जीवन की बगिया महकाई

वह प्यार बनी तो दुनिया को,
कैसे जीयें, यह सिखलाया ।
नारी बनकर कोमलता का,
सौरभ-घट उसने छलकाया ॥

वह भक्ति बनी, मनवता को,
देवीय भाव है सिखलाया ।
वह शक्ति बनी जब मां बनकर,
मानव तब प्रथ्वी पर आया ॥

वह ऊर्ज़ा बनी मशीनों की,
विग्यान, ग्यान- धन कहलाई।
वह आत्म-शक्ति मानव मन में,
संकल्प शक्ति बन कर छाई ॥

वह लक्ष्मी है, वह सरस्वती,
वह मां काली, वह पार्वती
वह महा शक्ति है अणु-कण की,
वह स्वयं-शक्ति है कण-कण की ॥

है गीत वही, संगीत वही,
योगी का अनहद नाद वही ।
बन कर वीणा की तान वही,
मन वीणा को हरषाती है॥

वह आदि-शक्ति, वह प्रकृति-नटी,
नित नये रूप रख आती है ।


उस परम-तत्व की इच्छा बन,
यह सारा साज़ सज़ाती है ॥




7 टिप्‍पणियां:

Niraj Pal ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।

Shalini kaushik ने कहा…

सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें फहराऊं बुलंदी पे ये ख्वाहिश नहीं रही . आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......

Shikha Kaushik ने कहा…

सार्थक व् सुन्दर प्रस्तुति . हार्दिक आभार गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें .
हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

Shikha Kaushik ने कहा…

सार्थक व् सुन्दर प्रस्तुति . हार्दिक आभार गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें .
हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

रविकर ने कहा…

बहुत बढ़िया -

शुभकामनायें-
गणतंत्र दिवस की -

Pratibha Verma ने कहा…

बहुत सुन्दर ...गड्तंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

धन्यवाद शालिनी, शिखा ,प्रतिभा व रविकर एवं नीरज जी .....