गुरुवार, 30 अगस्त 2012

अब आई बारी श्री नरेंद्र मोदी की !


अब आई  बारी श्री नरेंद्र मोदी 
की 
 !

[अहमदाबाद. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य वर्ग को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। अमेरिका के मशहूर अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए गए  इंटरव्यू में मोदी से जब पूछा गया कि उनके राज्य में कुपोषण की दर इतनी ज़्यादा क्यों है, तो इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, 'गुजरात मोटे तौर पर शाकाहारी राज्य है। और तो और गुजरात एक मध्य वर्गीय (मिडल क्लास) राज्य है। मध्य वर्ग को सेहत से ज़्यादा सुंदरता की फिक्र होती है-यही चुनौती है।'
मोदी यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, 'अगर मां अपनी बेटी से कहती है कि दूध पियो, तो इसे लेकर दोनों में झगड़ा होता है। बेटी अपनी मां से कहती है, मैं दूध नहीं पिऊंगी क्योंकि मैं मोटी हो जाऊंगी। हमें इसमें बड़ा बदलाव लाना होगा। इस मामले में भी गुजरात एक आदर्श राज्य बनेगा। मैं कोई बड़ा दावा नहीं करूंगा क्योंकि मेरे पास कोई सर्वे रिपोर्ट नहीं है।' ]


अब आई इनकी बारी ; कर लो अब तैयारी 

जो करे गलत बयानी ;उसको दो मात करारी 

जागो भारत की नारी !जागो भारत की नारी !
                                                                                                                            शिखा कौशिक 

4 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

नरेन्द्र मोदी जी को बोलने से पहले सौ बार सोचना चाहिए की वे क्या कह रहे हैं जिन लड़कियों की वे बात कह रहे हैं वे मात्र १ फीसदी होंगी और ९९ फीसदी लड़कियां उन घरों की भूखी रहती हैं जहाँ खाने को अन्न नहीं है .कैराना उपयुक्त स्थान :जनपद न्यायाधीश शामली :

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

मोदी का अज्ञान पता लगता है।

virendra sharma ने कहा…

लडकियां दूध पीने में ना -नुकुर करतीं हैं इसका जन -कुपोषण से ज्यादा रिश्ता नहीं है ,शाकाहार से भी नहीं दाल भात भी सबको मिले तो प्रोटीन की कमी से होने वाला एनीमिया नहीं होगा असल बात है उदारीकरण का परसाद(प्रसाद ) जो शक्ल देख के नीचे पहुंचता है ऊपर ऊपर ही बट जाता है अम्बानियों में .यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
लम्पटता के मानी क्या हैं ?

डा श्याम गुप्त ने कहा…

--वैसे तो यह प्रश्न ही गलत था ...विदेशी कुपोषण का हिसाब अपने स्तर से लगाते हैं और भारतीय चिकित्सक भी विदेशी स्तरों से ही देखते हैं जो प्राय: गलत अनुमान होता है ..इसीलिये मोदी ने आंकड़े न होने की बात की..यही सत्य है..स्थिति कहीं भी वह नहीं है जो विदेशी आंकड़े बताते हैं... फिर इतनी ज्यादा दर का क्या अर्थ भारत भर में यह दर लगभग उतनी ही है..

----किसने कह दिया कि मोदी ने जो कहा वह १% की बात है...सभी पढ़े-लिखे परिवारों में यह हालत है ..यह जमीनी सचाई है...और भारत में ऐसे परिवार निश्चय ही १% नहीं हैं...
---जहां खाने को अन्न नहीं है वहाँ लडके भी भूखे रहते हैं ...सिर्फ लडकियां नहीं ...
----वीरेंद्र जी ढूध न पीने से एनीमिया खूब होता है..वह सिर्फ दाल-रोटी से पूरा नहीं होता...और यहाँ अम्बानी से क्या सन्दर्भ ...

--- सिर्फ मोदी के विरोध के लिए ये सारी कवायद...असंगत है..
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