शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

अपने ही आगार, आज भी डर डर सोती

गर्भवती नारी हुई, वही कुपोषण मार |
ख़त्म रसोईं कर चखे,  मात्र कौर दो-चार |

मात्र कौर दो-चार, भार दो जन का ढोती |
अपने ही आगार, आज भी डर डर सोती |

धुरी हुई कमजोर, जनम कन्या का होवे |
करके कन्या शोर, नींद में गहरी सोवे ||

3 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

डराया मत करो
भरपेट खिलाया करो
घर पर नहीं खाये
तो काहे ना होटल
ले कर जाया करो
मतलब है कुछ तो
समझाया करो!!

RITU BANSAL ने कहा…

ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
!!!!!! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!!!!!
!!!!!!!!!! हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !!!!!!!!!
ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं

Shalini kaushik ने कहा…

आपकी पोस्ट सराहनीय है..ऑनर किलिंग:सजा-ए-मौत की दरकार नहीं