शनिवार, 25 अगस्त 2012

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जागरण सखी 

होममेकर हूं इसमें गलत क्या है…..


                          शिखा कौशिक 

5 टिप्‍पणियां:

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी किसी पुरानी बेहतरीन प्रविष्टि की चर्चा मंगलवार २८/८/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी मंगल वार को चर्चा मंच पर जरूर आइयेगा |धन्यवाद

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत अच्छा एवं सच्चा आलेख

virendra sharma ने कहा…

घर की मुर्गी दाल बराबर नहीं है आया /मैड /डोमेस्टिक हेल्प जब घर में होती है और बच्चे कर दिए जातें हैं कम उम्र उसके हवाले वही घुमाए वही खिलाए तो वह बच्चों की आंटी (धाय माँ ,सर्रोगैत मदर )बन जाती है उसी के संस्कार अच्छे बुरे सभी जातें हैं बच्चों में ,गृहिणी को यूं ही अन्नपूर्णा ,गृह लक्ष्मी ,महा -लक्ष्मी नहीं कहा गया था ,उसका घर में अनेक कोणों से दिखना रखरखाव सजावट में अपने अलग आयाम और अंदाज़ लिए रहता है एक सुवास भी वह किसी से कम नहीं है सबसे वाहियात लफ्ज़ चल पड़ा है वर्किंग वोमेन .घरलू महिला क्या भाड़ झोंकती है ? . कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 25 अगस्त 2012
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html

Shalini kaushik ने कहा…

GOOD LINK.NICE PRESENTATION.संघ भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्य

डा श्याम गुप्त ने कहा…

गलत क्या ....आप अपना होम तो बना रही हैं....वर्किंग -वूमेन तो दूसरों का घर बनाती हैं...