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[अहमदाबाद. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य वर्ग को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। अमेरिका के मशहूर अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए गए इंटरव्यू में मोदी से जब पूछा गया कि उनके राज्य में कुपोषण की दर इतनी ज़्यादा क्यों है, तो इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा, 'गुजरात मोटे तौर पर शाकाहारी राज्य है। और तो और गुजरात एक मध्य वर्गीय (मिडल क्लास) राज्य है। मध्य वर्ग को सेहत से ज़्यादा सुंदरता की फिक्र होती है-यही चुनौती है।'
मोदी यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, 'अगर मां अपनी बेटी से कहती है कि दूध पियो, तो इसे लेकर दोनों में झगड़ा होता है। बेटी अपनी मां से कहती है, मैं दूध नहीं पिऊंगी क्योंकि मैं मोटी हो जाऊंगी। हमें इसमें बड़ा बदलाव लाना होगा। इस मामले में भी गुजरात एक आदर्श राज्य बनेगा। मैं कोई बड़ा दावा नहीं करूंगा क्योंकि मेरे पास कोई सर्वे रिपोर्ट नहीं है।' ]
इंसान नहीं कोई वस्तु है वो किसी भी सामान से बहुत सस्ती है वो कैसे भी किसी ने भी उसका उपयोग किया जिसने चाहा जब चाहा उसको बेइज्जत किया
बेइज्जत होकर भी अपना ही चेहरा छुपाती है वो
अपनों से भी सहानुभूति की जगह दुत्कारी जाती है वो कोई और अपराध में अपराधी अपना मुंह छुपाता है ये ऐसा अपराध है इसमें सहनेवाला ही अपना सिर झुकाता है आज नई सदी में नारी कहीं भी सुरक्षित नहीं है
उसकी इज्जत की कोई कीमत नहीं हैं
छोटी बच्ची हो या बूढी औरत सबको हवश के शिकार बना रहे हैं पुरुष इंसान नहीं वासना के पुजारी बन हैवान हो रहे हैं
जिस देश में बच्चियों और औरत को देवी का दर्जा दिया जाता है
उसी देश में उनके साथ इतना घ्रणित कर्म किया जाता है उनके कपडे ,पहनावे ,रहन -सहन को दोष दे रहे हैं
अपनी गन्दी मानसिक सोच को नहीं बदल रहे हैं
कोई सरकार कोई कानून इस जुर्म को नहीं रोक पा रहा है दिन -प्रतिदिन ये घ्रणित जुर्म बढ़ता जा रहा है हम औरतों को ही एकजूट होकर इसके खिलाफ लड़ना होगा
और अपने को इस शारीरिक और मानसिक यंत्रणा से बचाना होगा
कुछ आदमी अपनी ताकत का नाजायज फायदा उठा रहे हैं
औरतें भी इंसान हैं ये समझ नहीं पा रहे हैं
जिस दिन औरत ने सच मे दुर्गा माँ का रूप रखा एक भी राक्षस इस धरती पर नहीं बच पायेगा पापियों अपने पापों को इतना मत बढाओ उसके सोये हुए कोप को मत जगाओ नहीं तो इस दुनिया का हो जाएगा नाश
एक वर्ष हो गया सुभावना के विवाह को ,मेरी पक्की सहेली . बचपन से दोनों साथ -साथ स्कूल जाते ,हँसते ,खेलते पढ़ते .कभी मेरे नंबर ज्यादा आते कभी उसके लेकिन दोनों को एक दूसरे के नंबर ज्यादा आने पर बहुत ख़ुशी होती .एक बार मैं तबियत ख़राब होने के कारण स्कूल नहीं जा पाई तब सुभावना ही रोज मेरे घर आकर मेरा काम किया करती थी ।हमारे मम्मी पापा की भी अच्छी बनती थी ।जब भी हमारे मम्मी पापा बाहर जाते हम बिना किसी संकोच के एक दूसरे के घर रह लेते थे .सुभावना के दो छोटी बहने और थी इसलिए उसके मम्मी पापा चाहते थे कि अच्छा घर मिलते ही उसके हाथ पीले कर दे .यद्यपि मैं सुभावना से अलग होने की सोचकर भी घबरा जाती थी ,लेकिन उसके मम्मी पापा की चिंता भी देखी नहीं जाती थी.मम्मी इस बार नैनीताल गयी तो लौटकर आते ही मेरे साथ सुभावना के घर गयी । मम्मी ने उसके मम्मी पापा को एक तस्वीर दिखाई और बोली ''ये लड़का दुकानदार है पर अच्छी इनकम हो जाती है ,सुभावना से कुछ साल बड़ा है पर शादी करना चाहे तो कर दे लड़का शरीफ है .'उसके मम्मी पापा को लड़का पसंद आ गया और जब हमारे इंटर के पेपर हो गए तब जून माह में सुभावना का विवाह हो गया .उसकी विदाई पर मैं और वो गले लगकर खूब रूए .पिछले माह उसकी मम्मी हमारे यहाँ आई .मिठाई का डिब्बा उनके हाथ में था .वे बोली ''सुभावना के बेटा हुआ है ''..यह खबर पाकर हम ख़ुशी से झूम उठे.उन्होंने बताया कि सुभावना एक माह बाद यहाँ आएगी .मेरी बी ए प्रथम वर्ष की परीक्षाएं भी पूरी होने आ गयी थी .मैं बेसब्री से उसके आने का इन्तजार करने लगी .कल उसकी छोटी बहन हमारे घर आकर बता गयी कि ''सुभावना आ गयी है ''मेरा मन था कि अभी चली जाऊ पर मम्मी ने कहा कि कल को चलेगे .आज जब सुभावना के घर पहुची तब उसे पहचान नहीं पाई .कितनी अस्त-व्यस्त सी लग रही थी .करीब एक घंटे तक बस ससुराल की बुराई करती रही .मम्मी के कहते ही कि ''चल' मैं तुरंत चल पड़ी वर्ना एक एक मिनट कहकर मैं एक घंटा लगा देती थी .उसके घर से लौटते समय मैं समझ चुकी थी कि सुभावना का बचपना खो चुका है और वो भी जिन्दगी को समझने लगी है .
मैं नारी
जन्म से बंधी
उस डोर से
जिसके अनेकों सिरे
फिर भी
उलझते-सुलझते
मैं तल्लीन रहती
एक-एक रिश्तों को
सहेजने में
पीड़ा - व्यथा अन्तर्निहित
लेकिन अनवरत प्रत्न्शील
जीवन पथ पर
अपनों के लिए समर्पित कभी न थकती
हजारों सपने गढ़ती
फिर जीती भरपूर
उन सपनों में
एकांत के क्षणों में
टूटने पर भी
विचलित नहीं
पुनः प्रयत्नशील
गतिमान जीवन में उलझती
स्वयं की भी तलाश में
मैं नारी ।