नहीं आते आंसू,
सुख गया सागर,
इतना बहा कि अब
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |
याद है मुझको
तेरा वो रूठना,
दो बुँदे बहके
तुझे मन थी लेती,
जहर गई वो बूंदें
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |
आंसू नहीं मोती हैं
तुम्ही तो थे कहते,
एक भी ये मोती
तुम बिखरने नहीं देते,
खो गए वो मोती
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |
वर्दी पहने जब निकले थे
दी मुस्कान के साथ विदाई,
आँखों में था पानी
दिल रुलाता था जुदाई,
सुख गया वो पानी,
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |
तब भी बहुत बहा था
जब ये खबर थी आई
देश रक्षा में तुने
अपनी जान है लुटाई,
पर अब नहीं बहते,
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |
जानती हूँ मैं
तुम नहीं हो आने वाले,
पर ये दिल ही नहीं मानता
तेरा इंतज़ार है करता,
करवटें बदल रोते-रोते,
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |
8 टिप्पणियां:
khuubsuurat prastuti ||
जानती हूँ मैं
तुम नहीं हो आने वाले,
पर ये दिल ही नहीं मानता
तेरा इंतज़ार है करता,
करवटें बदल रोते-रोते,
इंतज़ार में तेरे
मेरे सूखे नैन |बेहतरीन अभिवयक्ति.....
behtreeen prstuti....
अच्छी अभिव्यक्ति है....
-----पर कविता को प्रिंट होने के बाद भी दो बार देख लेना चाहिए ...मिसप्रिंट हो ही जाते हैं...यथा...
सुख गया =सूख गया
दो बुँदे = दो बूँदें
तुझे मन थी लेती = तुझे मना थी लेती
जहर गयी वो बूंदे = झर गयीं वो बूँदें
सुख गया वो पानी =सूख गया वो पानी
देश रक्षा में तुने = .....तूने
भाव जगत के आलोडन ,अंतर मन की व्यथा की शाश्वत कथा ,एक बलिदानी की याद में सूखे नैन ,बे -चैन ,दिन रैन ....सुन्दर सार्थक प्रस्तुति किसी अपने के श्राद्ध सी .
atulneey bhaav . sunder rachnaa
इस पीडा को आपने खूबसूरती से बांधा है ।
bahut marmik kavita.
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