बुधवार, 30 अप्रैल 2014

निंदा के पात्र बने रामदेव


संत कलान्तर से ही समाज में व्याप्त बुराईयों की निंदा आए हैं,व समाज को दिशा देते रहे हैं।जो कि उनका धर्म हैं। मगर संतो को व्यक्तिगत निंदा नहीं करनी चाहिए।जब कोई संत व्यक्तिगत निंदा करने लगता हैं तो वह स्वयम् निंदा का पात्र बन जाता हैं।
हाल ही में बाबा रामदेव राहुल गांधी पर रामवाण चलाते हुए चुक गए।दलित महिलाओं व भारतीय नारी का अपमान कर बैठे।परिणाम सरूप वह जिनकी महत्तवकांछाओं को पूर्ण करने में लगे हुए थे।वह भी उनके इस बयान से किनारा करते हुए,उनके बयान की निंदा कर रहें हैं। बाबा रामदेव और विवाद का यूं तो चौली दामन का साथ रहा हैं।लेकिन यह मामला जदा संवेदनशिल हैं क्योंकि यह आधी आवादी के मान, सममान,मर्यादा को चोट पहुचाता हैं।
प्रश्न सिर्फ यौग गुरू बाबा रामदेव के बयान का नहीं हैं,न ही भौगी आशाराम बापू का हैं।यह पूरे संत समाज पर लागू होता हैं। आख़िर वो समाज को किस रास्ते पर ले जाना चहाते हैं। यह बयान किसी नेता ने दिया होता तो और बात थी क्योंकि नेता तो जुबान के यूं भी कच्चे होते हैं।लेकिन यह संत के वचन हैं जिसकी गुंज दूर तक सुनाई देती हैं।संत समाज के माथे पे लगा यह वह कलंक हैं,जो गंगा नहाने पर भी नहीं धुलेगा।
                               
तरूण कुमार,सावन

7 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

ramdev saint nahi hain vaise bhi unke sharirik lakshan bhi unke achche insan hone kee chugli bharte hain .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…


बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (01-05-2014) को श्रमिक दिवस का सच { चर्चा - 1599 ) में अद्यतन लिंक पर भी है!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Jyoti Dehliwal ने कहा…

क्या संत ऐसे होते है ? अब हमे संतो की नई परिभाषा बनानी होगी .

Shikha Kaushik ने कहा…

SAVAN JI -YOUR VIEW IS VERY RIGHT .

Unknown ने कहा…

आप सभी का ----- आभार

Unknown ने कहा…

आप सभी का ----- आभार

Unknown ने कहा…

आप सभी का ----- आभार