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मिला मर्द को ऊँचा रुतबा अल्लाह की ये मर्जी है ,
औरत से बढ़कर है ओहदा अल्लाह की ये मर्ज़ी है !
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करें हिफाज़त औरत की हम सख्त करें पहरेदारी ,
फ़र्ज़ है उसका करना पर्दा अल्लाह की ये मर्ज़ी है !
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जब तक दम में दम है बेग़म खिदमत कर तू शौहर की ,
करो बगावत से तुम तौबा अल्लाह की ये मर्ज़ी है !
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नज़र झुका और सिल ले लब तू , शौहर पर हो जा कुर्बान ,
शौहर के सब जुल्म सहे जा अल्लाह की ये मर्ज़ी है !
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'नूतन' हद में रहना बेहतर पाबन्दी के बुर्कों में ,
क़त्ल करेंगें कहकर वर्ना अल्लाह की ये मर्ज़ी है !!!
शिखा कौशिक 'नूतन'
6 टिप्पणियां:
बिलकुल सच कहा है
लाज़बाब
क्या खूब लिखा आपने बढ़िया पोस्ट...........
बहुत सुंदर
अच्छी रचना
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