रविवार, 21 जुलाई 2013

'लडकियाँ लडको से पहले बड़ी हो जाती है .''-SHORT STORY

Cute Kids in Children\'s Costumes


''ए ...अदिति ...कहाँ चली तू ? ढंग से चला -फिरा कर ...बारहवे साल में लग चुकी है तू ...ये ही ढंग रहे तो तुझे ब्याहना मुश्किल हो जायेगा .कूदने -फांदने की उम्र नहीं है तेरी !..अब बड़ी हो गई तू .'' दादी के टोकते ही अदिति उदास होकर वापस घर के अन्दर चली गई .तभी अदिति की मम्मी उसके भाई सोनू  के साथ बाज़ार से शॉपिंग कर लौट आई . सोनू ने आते ही पानी पीने के लिए  काँच का गिलास उठाया और हवा में उछालने लगा .ठीक से लपक न पाने के कारण गिलास फर्श पर गिरा और चकनाचूर हो गया .सोनू पर नाराज़ होती हुई उसकी मम्मी बोली -'' कितना बड़ा हो गया पर अक्ल नहीं आई !'' दादी बीच में ही टोकते हुए बोली -'' ...अरे चुप कर बहू ...एक ही तो बेटा जना है तूने ...उसकी कुछ कदर कर लिया कर ....अभी सत्रहवे में ही तो लगा है ...खेलने -कूदने के दिन है इसके ..अदिति को आवाज़ लगा दे झाड़ू से बुहारकर साफ कर देगी यहाँ से काँच .'' कमरे की चौखट पर खड़ी अदिति दादी की ये बात सुनकर बस इतना ही समझ पाई कि ''लडकियाँ लडको से पहले बड़ी हो जाती है .''
शिखा कौशिक 'नूतन'