ये एक सच्चाई है भले ही कडवी क्यों न हो ! फेसबुक से लेकर ट्विटर तक हर सोशल साईट पर महिलाओं को अभद्र टिप्पणियों का सामना करना पड़ रहा है .अलका जी ने अपनी ट्वीट के माध्यम से ये ही मुद्दा उठाया है .सोशल साइट्स को यूँ तो पढ़े-लिखे लोगों का मंच माना जा सकता है पर यहाँ पर महिलाओं को शर्मिदा करने वाले पुरुष वर्ग की टिप्पणियों से ऐसा लगता है कि वे अपनी अहमवादी सोच को भी यहाँ साथ लेकर बैठे हैं .फेसबुक पर लड़कियों को कितने हल्के में लिया जाता है इससे कोई भी अनजान है .कुछ पुरुष फर्जी लड़की नाम से अकाउंट खोलकर मज़े लेने का काम करते हैं और लड़कियों की छवि मजे लेने वाली वस्तु की बना डालते हैं .महिला केवल मनोरंजन का साधन है -ऐसी सोच रखने वाले कितनी गन्दी टिप्पणियां करते हैं इसका मुझे स्वयं अंदाजा है .''नवभारत टाइम्स '' पर मेरी ब्लॉग पोस्ट्स पर आने वाली अभद्र टिप्पणियों के कारण ही मैंने पिछले वर्ष अपनी १६० पोस्ट रात में जागकर एक घंटे में डिलीट कर डाली थी और तब से अब तक 'नवभारत टाइम्स ' की वेबसाईट पर बने अपने ब्लॉग पर मैं नहीं गयी .
Kuchh Twts Us Baltkario ki tarha hote hey,Jinki Mansikta Rape hone yani twt padne key baad hi pata chalti hey,No way2escape,Jst Killed,BLCKD
पर क्या महिलाओं को घबरा जाना चाहिए इससे ? नहीं .मैंने भी यही विचार रखे और क्या और ने भी -
@alkalambaaicc woh toh hai par inko Roka ja saktA hai, complaint file kijiye
@alkalambaaicc I THINK YOU'R RIGHT BUT WE HAVE TO FACE NOT NEGLECT
पर अलका जी इससे सहमत नहीं हैं -
@shikhagulka can u face these Rapists or vulgar & abusive twts ? Sorry I can't .. I will prefer to block them than to face such cheep chepus
लेकिन एक मजबूत राजनैतिक पार्टी से सम्बद्ध योग्य कार्यकर्त्ता अलका जी को तो ऐसे मुद्दों पर आगे बढ़कर काम करना ही चाहिए -
@alkalambaaicc as a public figure this is your responsibility to take strong action against these type twts .if you can't this is not good .
महिलाओं के साथ ऐसा वैचारिक बलात्कार इन सोशल साइट्स पर बंद होना ही चाहिए .सरकार को आवश्यक कदम उठाते हुए सोशल साइट्स को महिलाओं के खिलाफ शोषण का हथियार बनने से रोकना ही चाहिए !आपकी क्या राय है ?
शिखा कौशिक 'नूतन'
12 टिप्पणियां:
सोशल साइट्स ही क्या, आज तो हालत इतनी बदतर होगई है कि घरेलु महिलायें घर में और कामकाजी महिलाएं अपने ऑफिस में भी महफूज़ नहीं हैं . लोग केवल मज़ा लेने के लिए हमारा मखौल उड़ाते हैं ..ये किसी एक महिला का नहीं, वरन पूरे स्त्री समुदाय का अपमान और अपरोक्ष शोषण है .लेकिन इसके विरुद्ध कोई कार्रवाही सरकार कर पाएगी, इसका भरोसा मुझे तो नहीं, मेरे ख्याल में तो अब नारी को ही डंडा उठाना पड़ेगा ........
मैं तोइस मामले में सजग रहती हूँ . एक का चार सुनाती हूँ और ऐसा सुनाती हूँ कि दोबारा किसी की हिम्मत नहीं होती मुझे छेड़ने की ...........अगर ठीक से याद करूँ तो अब तक कम से कम दस की तो पिटाई कर चुकी हूँ . आप भी ये कर के देखिये, परिणाम अच्छा आएगा . यहाँ कलम चला कर कुछ होने वाला नहीं, हाथ चलाना सीखो ...........
क्षमा करना .कुछ बुरा लगे तो मैं अपने शब्द वापिस ले लेती हूँ
रोज़ी
आपके ब्लाग पर नहीं पहुँच पा रही हूँ -सीधा टिप्पणी फ़ार्म आ जाता है .कई बार ट्राई किया .
कोई उपाय है क्या ?
उफ़-
कब सुधरेगा समाज-
शोचनीय स्थिति -
रोज़ी जी आपने जो विचार प्रकट किये हैं उनमे अपरिपक्वता झलकती है .डंडा लेकर पिटाई करना अगर सब लड़कियों के बस की बात होती तो शायद बदतमीज़ियां यहाँ तक न बढ़ती .ये न भूलें कि लड़कों के परिवार वाले उनकी गलती होते हुए भी उनका पक्ष लेते हैं और लड़कियों को बदनाम करते हैं .बहरहाल आप जिस दिन से ब्लॉग जगत में उदित हुई हैं छा गयी हैं .आपके बारे में सोचने पर जो छवि दिमाग में आती है वो कुछ कुछ ''आरजू'' फिल्म में लड़की बनकर आये राजेन्द्र कुमार से मिलती है .
सार्थक प्रस्तुति .प्रतिभा जी न केवल ''भारतीय नारी ''ब्लॉग पर कई ब्लोग्स पर यही दिक्कत पेश आ रही कि ब्लॉग खोलने पर टिप्पणी फार्म खुल रहा है .इसका एक ही उपाय है -ब्लॉग का यूआरएल एड्रेस बार में डाले तब ब्लॉग ही खुलेगा .
रविकर जी -यही तो दिक्कत है हम समाज के सुधरने का इंतजार कर रहे हैं और महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रकार बढ़ते जा रहे हैं
logon kee manasikata badalana bahut mushkil hai. ye manasikata unaki umra, shiksha aur pad se prabhavit nahin hoti hai .
मैं तोइस मामले में सजग रहती हूँ . एक का चार सुनाती हूँ और ऐसा सुनाती हूँ कि दोबारा किसी की हिम्मत नहीं होती मुझे छेड़ने की ...........अगर ठीक से याद करूँ तो अब तक कम से कम दस की तो पिटाई कर चुकी हूँ . आप भी ये कर के देखिये, परिणाम अच्छा आएगा . यहाँ कलम चला कर कुछ होने वाला नहीं, हाथ चलाना सीखो ...........
क्षमा करना .कुछ बुरा लगे तो मैं अपने शब्द वापिस ले लेती हूँ
रोज़ी
सहमत हूँ .........
maine mere vichar yahan rakhe hain
http://rosydaruwala.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html
-----यदि इतने प्रगतिशील वैज्ञानिक समय में काल में भी यह हालात हैं तो कभी नहीं सुधरेंगे...
--- राम और कृष्ण आये और सुधारा और गए ...अब भी हम वैसे ही हैं ...
----अपने काम से काम रखो...स्वयं को सुधारो...परिस्थिति का डटकर मुकाबला करो ..
इस पर प्रतिक्रिया देने से कोई फायदा नही होता इनको इग्नोर करना ही ठीक होता है । पर एक महिला ग्रूप बनाकर फायदा हो सकता है जो अपना एक सूचना फलक बनायें और ऐसे गलत लोगों के नाम उजागर करें । अपने ब्लॉग पर आने वाली टिप्पणियां तो सीधे डिलीट की जा सकती हैं ।
you are right asha ji .
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