बेग़म ग़म मत देना do not copy |
दिल बहलाने को लाया हूँ बेग़म ग़म मत देना ,
खिदमत करवाने लाया हूँ बेग़म ग़म मत देना !
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सजने और सँवरने की है बेग़म तुम्हें आजादी ,
खुली जुबान पर गुर्राया हूँ बेग़म ग़म मत देना !
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नज़रों के तुम तीर चलाकर कर लो मुझको घायल ,
देख बगावत घबराया हूँ बेग़म ग़म मत देना !
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फ़र्ज़ निभाओ मगर कभी तुम हक़ की बात न करना ,
तानाशाह बन इतराया हूँ बेग़म ग़म मत देना !
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'नूतन' औरत की किस्मत में सारे ग़म पी जाना ,
कई दफा ये फ़रमाया हूँ बेग़म ग़म मत देना !!
शिखा कौशिक 'नूतन'
9 टिप्पणियां:
bahut sateek abhivyakti .
bahut khoob nari ke bhavon ka sunder chitran
rachana
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज रविवार (28-07-2013) को त्वरित चर्चा डबल मज़ा चर्चा मंच पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
व्यंगात्मक सुन्दर रचना !
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हां अच्छी रचना, बात कहने का ये भी अंदाज
बहुत सुन्दर रचना .मेरे ब्लॉग पर आकर अनुग्रहित करे
sundar rachna....
बहुत खूब....
सही वस्तुस्थिति, कहने का अंदाज भी निराला ।
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