सोमवार, 22 जुलाई 2013

दामिनी गैंगरेप का त्वरित न्याय कहाँ ?

दामिनी गैंगरेप का त्वरित न्याय कहाँ ?
 
[अमर उजाला हिंदी दैनिक से साभार ]

धारा ३७६-२ -छ , भा० दंड संहिता कहती है ''कि जो कोई सामूहिक बलात्संग करेगा वह कठोर कारावास से ,जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी ,किन्तु जो आजीवन हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडनीय होगा और इसी धारा के मद्देनज़र मध्य प्रदेश के दतिया जिले की विशेष अदालत ने ३९ वर्षीय स्विस महिला के साथ हुए बलात्कार के मामले में छह दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है .
        बलात्संग या बलात्कार धारा ३७६ भा.दंड.सहिंता  के अंतर्गत दंडनीय है और सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है .जिसकी प्रक्रिया दंड प्रक्रिया सहिंता की धारा २२५ से २३७ तक दी गयी है .
धारा २२५ में विचारण का सञ्चालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाता है .धारा २२६ में अभियोजक अपने मामले का कथन अभियुक्त के खिलाफ लगाये गए आरोपों के बारे में  और यह बताते हुए आरम्भ करेगा कि वह अभियुक्त को किस साक्ष्य से अभियुक्त साबित करेगा .धारा २२७ में यदि सेशन जज को यह लगे कि अभियुक्त के विरुद्ध कार्यवाही का पर्याप्त आधार नहीं है तो वह उसे उन्मोचित कर देगा जिसका मतलब मात्र सबूतों का न होना है दोष मुक्ति नहीं ,किन्तु यदि न्यायाधीश को यह लगे कि अभियुक्त को अपराधी मानने के आधार हैं तो धारा २२८ में उस पर आरोप लगाये जाते हैं और अभियुक्त से पूछा जाता है कि वह आरोप स्वीकार करता है या विचारण किये जाने का दावा करता है . और यदि अभियुक्त दोष स्वीकार करता है तो धारा २२९ में उसकी दोषसिद्धि की जाती है किन्तु यदि वह नहीं मानता या विचारण किये जाने का दावा करता है तो धारा २३० में अभियोजन को साक्ष्य प्रस्तुत करने की तारीख नियत की जाती है फिर धारा २३१ में अभियोजन से साक्ष्य लिया जाता है .यदि साक्ष्य लेने ,अभियुक्त की परीक्षा ,प्रतिरक्षा सुनने के पश्चात् यदि न्यायाधीश को लगे कि अभियुक्त के अपराध का साक्ष्य नहीं है तो उसे दोषमुक्त करेगा किन्तु जहाँ ऐसा नहीं हो वहां धारा २३३ में अभियुक्त से प्रतिरक्षा आरम्भ करने की अपेक्षा की जाएगी फिर धारा २३४ में दोष मुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय दिया जायेगा .
इतनी लम्बी प्रकिया से गुजरने के बाद स्विस महिला से गैंगरेप के मामले में तो न्यायाधीश का निर्णय आ गया किन्तु दामिनी गैंगरेप कांड जो कि इससे ३ महीने पहले १६ दिसंबर २०१२ को हुआ जिसमे पीड़िता असहनीय पीड़ा झेलकर मौत का शिकार हो गयी और जिसमे दामिनी के दोस्त द्वारा सभी आरोपियों की शिनाख्त यहीं कर ली गयी जबकि स्विस महिला से हुए गैंगरेप में यह सब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से किया गया मतलब एक और लम्बी प्रक्रिया और तब भी अपराधियों को सजा मिल गयी और दामिनी कर रही है आज भी न्याय की प्रतीक्षा ................
 क्या इसके पीछे राज्य राज्य का अंतर माना जाये या देशी विदेशी का और यहाँ देशी-विदेशी का अंतर ज्यादा प्रभावी नज़र आ रहा है .विदेश में अपनी न्यायप्रिय ,मजबूत लोकतंत्र की छवि ही यहाँ हावी नज़र आ रही है और स्विस महिला इसी कारण दामिनी से पहले न्याय पा गयी .इसी कारण अब यह कहना पड़ेगा ''कि भगवान् के घर देर है अंधेर नहीं ''दामिनी के एक अपराधी को सजा वे दे चुके हैं बाकी को भी शायद  वे ही सजा देंगे अव्यवस्थाओं से बंधी न्याय प्रक्रिया नहीं .
                 शालिनी कौशिक 


5 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

आशा का संचार करती खबर-
आभार

Shalini kaushik ने कहा…

thanks ravikar ji .

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन जानिए क्या कहती है आप की प्रोफ़ाइल फोटो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Shikha Kaushik ने कहा…

sarthak aalekh hetu aabhar

Shalini kaushik ने कहा…

thanks blog buletin and shikha ji