शुक्रवार, 29 मार्च 2013

छोरी भागी तो छोरे के साथ ही है न -लघु कथा

 

एक  सब्जी वाली से सब्जी लेते हुए सीमा ने सामने रहने वाली मौहल्ले की युवा पड़ोसन रीना से चहकते हुए कहा -''कल मिसेज शर्मा बता रही थी कि गुप्ता जी  की बेटी किसी सहपाठी के साथ घर से भाग गयी !आज के ज़माने में ज्यादा कड़ाई भी ठीक नहीं .नारी सशक्त हो रही है ...वो अपना भला-बुरा स्वयं सोच सकती है .अब घरवाले मनमानी करेंगें तो नहीं चलेगी .ये भी कोई बात हुई जहाँ चाहा  खूंटे से बाँध दिया !!'' रीना भी उसकी हाँ में हाँ  मिलाते  हुए बोली '' ठीक कहती हो जीजी ..पढ़ी -लिखी नारी क्यों पुरुष के हाथ का खिलौना बनी रहे ?'' दोनों ने मनपसंद सब्जी लेकर ज्यों ही सब्जी वाली के पैसे  चुकाए  वो पैसे  लेते हुए बोली -''मेमसाब  एक बात  पूंछूं    ...बुरा तो न  मानोगी  ?''  सीमा-रीना ने असहमति  में सिर हिलाते  हुए कहा -''बुरा क्यों मनागें ?  सब्जी वाली अपना सब्जी का टोकरा सिर पर  रखते  हुए बोली -''वो छोरी  भागी  तो छोरे  के साथ ही है न  ....फिर    काहे  का वो .....वो ....ससुरा  सस्कतिकरण [सशक्तिकरण]  !!!'' ये कहकर  सब्जी वाली वहां  से चल  दी  और  सीमा-रीना एक दुसरे  का मुंह  तकती  रह  गयी !!

        शिखा  कौशिक  'नूतन '

6 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

.एक एक बात सही कही है आपने . मोदी संस्कृति:न भारतीय न भाजपाई . .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

kavita verma ने कहा…

badiya...

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

ये गुप्‍ताजी की लड़की ही क्‍यों भागती है?

Shikha Kaushik ने कहा…

ये बात तो गुप्ता जी ही बता सकते हैं .हमारा कहना है घर से भागी ही क्यों ?

Shikha Kaushik ने कहा…

thanks shalini ji &kavita ji ,ajit ji

डा श्याम गुप्त ने कहा…

अब लडके के साथ ही तो भागेगी ...लड़की के साथ भाग कर क्या करेगी ...
---सवाल वही है भागतीं ही क्यों हैं ये लड़कियां ...अब यह कहा जाना चाहिए कि लड़का घर से भाग गया और उसे कोई लड़की भगा ले गयी...तो कुछ सशक्तीकरण जैसी बात लगे...