बुधवार, 2 जनवरी 2013

आइटम सॉग की मल्लिकाओं हाज़िर हो !!

 Malaika AroraKareena KapoorIndian model Poonam Pandey poses during a fashion event in Mumbai on June 25, 2011.
Katrina Kaif

स्त्री देह को उघाड़कर
पुरुष की हवस को हवा देने वाली
चुप क्यों हो ?
छिपी हो कहाँ ?
''दामिनी '' पर हुई दरिंदगी में
अपना गुनाह क़ुबूल करो !
पूनम पांडे  एंड  कम्पनी  हाज़िर हो !!


मुन्नी बदनाम हुई , हू ला ला ,
शीला की जवानी ,चिकनी-चमेली
बनकर थिरकती और नोट बटोरती
मलैका ,विद्या ,कैटरीना और करीना
क्यों  छिप  जाती हो
स्त्री देह को आइटम बनाकर
अपने अति सुरक्षित बंगलों में ?

हर आम स्त्री की अस्मत पर
होते हमलों में अपना गुनाह  क़ुबूल करो !
आइटम सॉग की मल्लिकाओं हाज़िर हो !!


 नारी होकर नारी के सम्मान को डसती
आम नारी की गरिमा के गले में
फंदे सी कसती ,
नारी देह को माल बनाकर
बेचती ,मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता
परोसती ,
सड़क पर गुजरती ,बस में जाती
आम युवती पर कसी जाती फब्तियों में
अपना गुनाह क़ुबूल करो
राखी सावंत एंड कम्पनी हाज़िर हो !!
 
                        शिखा कौशिक 'नूतन'


10 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

सटीक ||

बेनामी ने कहा…

सटीक, सार्थक और अत्यावश्यक आह्वान

नव वर्ष की मंगल कामना

virendra sharma ने कहा…

आपने सटीक विवेचना की है .प्रकृति में नर और मादा पुरुष और प्रकृति के अधिकार समान हैं इस लिए एक संतुलन है ,प्रति -सम हैं प्रकृति के अवयव ,दो अर्द्धांश एक जैसे हैं .आधुनिक मानव एक

अपवाद है .एक अर्द्धांश को दोयम दर्जे का समझा जाता है उसके विरोध को पुरुष स्वीकार नहीं कर पाता ,उसकी समझ में नहीं आता है वह क्या करे लिहाजा वह प्रति क्रिया करता है .घर में नारी

स्थापित हो तो बाहर समाज में भी हो .इस दिशा में हर स्तर पर काम करना होगा .बलात्कार जैसे जघन्य अपराध तभी थमेंगे .

प्रासंगिक वेदना को स्वर दिया है .

व्यंग्य और तंज अपनी जगह हैं सच ये है ये नजला इन कलाकारों पर नहीं डाला जा सकता .हेलेन के दौर से केबरे का दौर रहा है समाज में .डिस्कोथीक और नांच घर सातवें दशक में भी थे भारत

में उससे पहले भी नवाबों के बिगडेल लौंडों को तहजीभ सीखने ,समाज में उठ बैठ सीखने तवायफों के कोठों पे भेजा जाता था .लेकिन समाज इतना टूटा न था कानून इतना अपंग न था .कुछ मूल्य थे

,क़ानून के शासन का भय था जो अब नहीं है . बेशक अब क़ानून को अपराध को ग्लेमराइज किया जा रहा है .चैनलों पर .लम्पट चरित्र के लोग संसद में भी विराजमान हैं .मूल्य बोध कहाँ है समाज में

क्या घर में औरत की कोई सुनता है उसके साथ दुभांत नहीं है ?समस्या का एकांगी दोषारोपण किसी एक पक्ष पर नहीं लगाया जा सकता .

आइटम सोंग करना पेशा है .ग्लेमर है .इसके निचले पायेदान पे बार गर्ल्स हैं जो अपनी आजीविका पूरे एक परिवार का भरण पोषण करने निकलीं थीं .उन्हें अपने धंधे से बे -दखल कर दिया मुंबई ने .

लेकिन अपराध .और बलात्कार बदस्तूर ज़ारी हैं मुंबई में .

क्या आपने शबाना आज़मी और जया बच्चन की सिसकियाँ नहीं सुनी चैनलों पर संसद में ?

आर्यावर्त डेस्क ने कहा…

प्रभावी लेखनी,
नव वर्ष की शुभकामना !!
आर्यावर्त

संध्या शर्मा ने कहा…

सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति... आभार

Shalini kaushik ने कहा…

बिल्कुल बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति शुभकामना देती ”शालिनी”मंगलकारी हो जन जन को .-2013

mridula pradhan ने कहा…

kadva sach.......

Pallavi saxena ने कहा…

आज तो आपने मेरे मन की बात लिख दी,स्त्री तन को उघाड़ कर पुरुष की हवस को हवा देने वाली स्त्री ही होती है। कहीं न कहीं इन दिनों दिन बढ़ते बलात्कार के मामलों में थोड़ा बहुत जिम्मेदार स्वयं नारी भी है।
मैं यह नहीं कहती की हमेशा ही ऐसा होता है,क्यूंकी गाँव और कस्बों मेन यह बात लागू नहीं होती। मगर आज कल पाश्चात्य संस्कृति की हवा के चलते महानगरो में फिल्मों से प्रभावित नव युवतिया जिस तरह का फ़ैशन अपना रही है शायद वो फ़ैशन भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है इस अपराधों में आई वृद्धि का हो सकता है मैं गलत हूँ आपको क्या लगता है ?

डा श्याम गुप्त ने कहा…

वाह वाह ..क्या सटीक बात कही है शिखा जी ---धन्यवाद व बधाई....
----हम पुरुषों का व अन्य सभी का भी यह कर्तव्य है कि इन सबका बहिष्कार करें ...इन प्रोग्रामों को न देखें, न प्रसारित करें , न प्रचारित करें , ऐसे लोगों के नगर में आने पर बहिष्कार करें..सामाजिक प्रोग्रामों में इनको न बुलाएं ...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

क्या आपने शबाना आज़मी और जया बच्चन की सिसकियाँ नहीं सुनी चैनलों पर संसद में ?

---सुनी थी शर्मा जी ...नौ सौ चूहे खाय बिलाई हज को चली....नहीं सुना है क्या आपने..