रविवार, 29 जून 2014

दोस्त नहीं दुश्मन-लघु कथा

दोस्त नहीं दुश्मन-लघु कथा 

कॉलेज कैंटीन में चाय की चुस्की लेते हुए सोहन व्यंग्यमयी वाणी में रवि को उकसाता हुआ बोला -''अरे रवि आज तो पूजा  ने तेरी तरफ देखा भी नहीं .क्या बात है ? दूध में से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया क्या ? '' सोहन की इस बात पर रवि कुछ बोलता इससे पहले ही अमर भड़कता  हुआ बोला -''सोहन ये  क्या तरीका हुआ किसी के पर्सनल मैटर्स पर बोलने का ! तुम तो तफरीह लेने के लिए ऐसी बातें कर के चलते बनोगे और यदि रवि का अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न रहा और वो पूजा के साथ कुछ गलत कर बैठा तो क्या उसकी जिम्मेदारी तुम लोगे ?तुम्हारा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा ..हां ...रवि जरूर अपराधी बन जायेगा .'' अमर के ये कहते ही सोहन उसकी बात को हवा में उड़ाता हुआ  हुआ बोला -'' अरे यार तुम तो बहुत सीरियसली ले रहो हो मेरी मजाक को .'' सोहन के इन शब्दों को अनसुना करते हुए अमर रवि का हाथ पकड़कर खड़ा होता हुआ बोला -'' तुम्हारा तो मजाक ही होता है पर किसी की जान पर बन आती है .रवि उठो !..ऐसे दोस्तों से बचकर रहो ..ये दोस्त नहीं दुश्मन होते हैं .'' अमर के ये कहते ही रवि उठकर खड़ा हो कर उसके साथ चल दिया और सोहन खिसियाते हुआ यही कहता रह गया -'' अरे सुनों तो मेरा वो मतलब नहीं था  .''

शिखा  कौशिक  'नूतन ' 

शुक्रवार, 27 जून 2014

''नारी तुम हो सुन्दरतम ''



उसने कहा
तुम सुन्दर नहीं !
मन ने कहा
''तुम हो ''
तुम
काली घटाओं सम
शीतल ,
ममता से भरे हैं
तुम्हारे नयन ,
मंगल भावों से युक्त
तुम्हारा ह्रदय  ,
निश्छल स्मित
से दीप्त वदन ,
सेवा हेतु पल-पल
उद्यत ,
आलस्य न
तुममें किंचित ,
इसलिए
जो कहे तुम्हें
''तुम सुन्दर नहीं ''
वो हो जाये
स्वयं लज्जित ,
तुम सृष्टि  की  रचना
अद्भुत  ,
मोहनी भी तुम ,
कल्याणी भी तुम ,
तुमसे आलोकित
विश्व सकल ,
मन पुनः बोला
तुम नारी हो
''तुम हो सुन्दरतम '

शिखा कौशिक 'नूतन'

मंगलवार, 17 जून 2014

गूँथ स्वयं को रोज, बनाती माता रोटी


रोटी सा बेला बदन, अलबेला उत्साह |
हर बेला सिकती रही, कभी न करती आह |

कभी न करती आह, हमेशा भूख मिटाती |
रहती बेपरवाह, आंच से नहिं अकुलाती । 

 कह रविकर कविराय, बात करता नहिं छोटी |
 गूँथ स्वयं को रोज,  बनाती माता रोटी |

देवभूमि की कहानी


 उत्तराखंड़ की त्रासदी को यूं तो एक साल हो गया। लेकिन वहाँ रहने वालों व अपनों को खोने वालों की आँखे आज भी नम हैं।ये शब्द सुमन उनके लिए।

     

(1)लाशों पर आंकडों की सियासत ।
लाचार हुए उत्तराखंड़ के महावत ।
देवभूमि की कहानी, लोचनों से बहता पानी ।
न नैनों में नीर इनके, न दिल में पीर इनके ।।
धरती माँ की चित्कार हैं, बादल भी नराज़ है ।
पर्वतराज घायल हैं, गंगा, जमुना उफान हैं ।
दुखों के पहाड़ पर,आँसुओं का समंदर हैं ।
अपनों को खोने का दर्द, अश्कों की निशानियां
मौत से जुझने की अनकही कहानियां ।
शवों के अम्बार पर, गिध्दों की हैं नजर ।
जिन रहनुमाओं सौपी थी जिम्मेदारियां ।
हवा हवाई बाते इनकी, हवा हवाई यात्राएं ।
इस त्रासदी पर सियासी गंभीर इतने ।
संवेदनाएं शुन्य हैं, हृदय हैं पाषाण इनके ।
न नैनों में नीर इनके, न दिल में पीर इनके ।।
(2)मृत्यु को भी मात देकर,अपनो को जो खो के लोटें
चक्षुओं(आँख) में अश्रुओं (अश्क) के सैलाब रोकें ।
ढांढस बधाएं उनको कैसे, पुत्र लोटे माताएं खोके ।
माँओं के आंचल सुने,बहनों के छुटें राँखी के रिस्ते ।
भाई की कलाई के धागें हैं टूटे ।
बाप की बाहों में प्राण छोड गया बेटा ।
मांग से मिट गई सिदूंर रेखा ।
जलमग्न हो गए हैं पूरे के पूरे परिवार जिनके ।  
नैनों में नीर इनके, दिल में पीर इनके ।।
(3)प्रलयकारी मंजर की खौफनाक रिचाएं  हैं ।
तवाही से सहमें हैं लोग, अंतहिन वृथाएं हैं ।
अपनों से बिछड़नें की अनगिनत वैदनाएं हैं ।
अपनों की तलाश में पथराईं आँखें हैं ।
भविष्य की चिंताएं हैं, दिशाहिन दिशाएं हैं ।
पूरें हिन्दुस्तान के, आम और खास के ।
हाथों में दवाएं हैं, होठों पे दुआएं हैं ।
शोक में डुबें हैं पूरें के पूरें परिवार जिनके ।
नैनों में नीर इनके, दिल में पीर इनके ।।
(4)सिने पर गोली खाने वालों की कथाएं ।
शौर्य की गाथाएं, अब हम तुमें क्या सुनाएं ।
प्राकृति हुईं प्रचड़, मेरूदण्ड बन गए अखंड़ ।
जिनके आगे काल की चाल भी खंड़-खंड़ ।
मौसम जब बन गया हैवान,
बन के खडें हो गए चट्टान ।
आपके ही करकमलों का प्रताप हैं ।  
जिंदा हैं आशिष्(आशीर्वाद देने वाले हाथ) गुजती किलकारियां ।
जीवन की रेखाएं अंकित कर दी यमराज के कपाट पे ।
हौसलों के आगें हारती बधाएं इनके ।
नैनों में नीर इनके, दिल में पीर इनके ।।
                  तरूण कुमार `सावन
                    लेखक व कवि
            

शनिवार, 14 जून 2014

Thanks father-वालिद शुक्रिया मेरे वालिद शुक्रिया



You Stood By Me...
HAPPY FATHER'S DAY
SHIKHA KAUSHIK 

वालिद शुक्रिया मेरे वालिद शुक्रिया ,
रहे सलामत आप रब से करते यही दुआ !


सर्दी-गर्मी बारिश से आप टकराये ,
हम रहें महफूज़ ली खुद पर ही बलाएँ ,
आगे बढ़कर फ़र्ज़ पूरा आपने किया !
वालिद शुक्रिया मेरे वालिद शुक्रिया ,
रहे सलामत आप रब से करते यही दुआ !


कायदे से रहने की तहजीब सिखलाई ,
क्या भला और क्या बुरा है ये बात बतलाई ,
हर कदम पर साथ मेरा आपने दिया !
वालिद शुक्रिया मेरे वालिद शुक्रिया ,
रहे सलामत आप रब से करते यही दुआ !



दे ख़ुदा हमको भी दम हम इतना कर सकें ,
आपकी इज्ज़त हमेशा दिल से कर सकें ,
और एक औलाद क्या कर सकती है भला !
वालिद शुक्रिया मेरे वालिद शुक्रिया ,
रहे सलामत आप रब से करते यही दुआ !

        SHIKHA KAUSHIK 'NUTAN'

बुधवार, 11 जून 2014

गंवार लड़की ? -लघु कथा

गंवार  लड़की ? -लघु कथा  

कॉलेज कैंटीन में  बैठे  रिकी और रॉकी अपनी ओर  आती  हुई सुन्दर   लड़की को   देखकर   फूले  नहीं समां  रहे  थे  .लड़की ने उनके  पास  आकर   पूछा  -''भैया  ! अभी  अभी कुछ  देर  पहले  मैं  यही  बैठी  थी  ....मेरी  रिंग  खो  गयी  है ...आपको  तो नहीं मिली ?''रॉकी और रिकी ने बुरा सा मुंह बनाकर मना कर दिया .उसके जाते ही  रिकी रॉकी से  बोला  -''हाउ विलेजर  इज शी  ?[यह कितनी गंवार है ?]हमें भैया बोल रही थी !'' रिकी व् रॉकी कॉलेज में मस्ती  कर अपने  अपने घर  लौट  गए  .घर पर  रिकी ने अपनी छोटी  बहन  सिमरन  को उदास देखा तो बोला -''व्हाट  डिड हैपेन सिस ?……. तुम इतना सैड क्यों हो ?' सिमरन झुंझलाते हुए बोली -''भैया आज कॉलेज में मेरी क्लास के एक लड़के की नोटबुक  क्लास में छूट गयी ....मैंने देखी  तो दौड़कर उसे पकड़ाने  गयी ...पर वो  तो खुश  होने की जगह गुस्सा हो गया क्योंकि मैंने उसे ''भैया ''कहकर आवाज दी थी .बोला ''भैया किसे बोल रही हो ?हाउ विलेजर आर यू ?'मुझे बहुत गुस्सा आया उस पर .''रिकी अपनी मुट्ठी  भीचता हुआ बोला -''कमीना   कहीं का ... मेरी बहन पर   लाइन    मार रहा    था  ....सिमरन उस कमीने से अब   कभी  बात   मत करना !!!
                                                                                शिखा कौशिक   
                                                                          [मेरी कहानियां   ]

मंगलवार, 10 जून 2014

घर में शान्ति बनाने का आसान उपाय

इस प्रकृति की रचना ही ऐसी है कि जो चीज़ जितनी ज़्यादा अहम है, वह उतनी ही ज़्यादा आसानी से मिल जाती है। शान्ति के लिए आपकी चाहत ही काफ़ी है। जब आप किसी चीज़ को दिल से, पूरी शिद्दत से चाहते हैं तो वह ख़ुद ही आपकी तरफ़ खिंची चली आती है।
आपको शान्ति चाहिए?
बस, आप इरादा कीजिए कि आप शान्त हैं। लीजिए, आप शान्त हो गए। अब आप अपनी शान्ति को भंग करने वाला, उसे नुक्सान पहुंचाने वाला कोई काम न करें। आपकी शान्ति बनी रहेगी। आप सिर्फ़ 24 घंटे शान्ति के इस भाव के साथ जीने की कोशिश कीजिए। आपके जीने का अन्दाज़ ही बदल जाएगा। आपके बीवी-बच्चे, पड़ोसी, रिश्तेदार और दोस्त आपसे रोज़ाना की तरह बर्ताव करेंगे लेकिन सिर्फ़ चन्द रोज़। आप उनकी बातों को सुनें लेकिन आप हर हाल में उन्हें शान्ति भरी प्रतिक्रिया ही दें। आपके मन में पुरानी यादें यानि भूतकाल की घटनाओं के भूत बड़ा हंगामा मचाएंगे लेकिन आप उन्हें कोई रिएक्शन मत देना। वे भी शांत होते चले जाएंगे।
आप हर समय अपना संकल्प याद रखें कि आप शान्त हैं। अगर आप मानते हैं कि आप शान्त हैं तो फिर आप शान्त हैं।
क्यों है न बिलकुल आसान उपाय ?
…फिर इसे आपने अब तक आज़माया क्यों नहीं है ?

सोमवार, 9 जून 2014

देख देश का हाल, अर्ध आबादी सहमें-रविकर

हमें हार की फ़िक्र नहिं, गले नौ-लखा डाल । 
इतराते टहला किये, रविकर नजर निहाल । 

रविकर नजर निहाल, नजर लेकिन अब लागी। 
हो छिनतई बलात, मार्ग में मरी अभागी। 

उत्तर दिया प्रदेश, रहो छुप अपने गृह में ।  
देख देश का हाल, अर्ध आबादी सहमें ॥  

रविवार, 8 जून 2014

मर्दों ने कब्ज़ा ली कोख

मर्दों ने कब्ज़ा ली  कोख 
आँखें नम
लब खामोश
घुटती  सांसें
दिल  में क्षोभ
उठा रही  
सदियों से औरत
मर्दों की दुनिया
के  बोझ !
......................................  
गाली ,घूसे ,
लात  , तमाचे
सहती औरत
युग-युग से
फंदों पर कहीं
लटकी मिलती ,
दी जाती कहीं
आग में झोंक !
..............................
वहशी बनकर
मर्द लूटता
अस्मत
इस बेचारी की ,
दुनिया केवल
है मर्दों की
कहकर
कब्ज़ा ली
है कोख !

शिखा कौशिक 'नूतन'

शुक्रवार, 6 जून 2014

WELCOME SUMITRA MAHAJAN JI

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  1. Sumitra Mahajan
    Indian Politician
  2. Sumitra Mahajan is an Indian politician and the incumbent Speaker of the Lok Sabha. She belongs to Bharatiya Janata Party.Wikipedia
  3. BornApril 12, 1943 (age 71), Chiplun

WELCOME NEW WOMAN SPEAKER OF INDIA'S LOWER 

HOUSE .BEST WISHES FOR A SUCCESSFUL TERM .