[सन्दर्भ -सुष्मा स्वराज ने चुवावों को लेकर एक टिप्पणी देते हुए कहा था कि जल्द ही अच्छी खबर मिलने वाली है।जिसपर अभद्रतापूर्ण टिप्पणी करते हुए मधुसूदन मिस्त्री ने कहा था कि इसके लिए पहले स्वराज को डॉक्टरी जांच करानी पड़ेगी तभी पता चलेगा कि अच्छा समाचार है अथवा नहीं। ]
मधुसूदन जी को अपने सुषमा स्वराज जी पर किये गए अभद्र बयान हेतु बिना समय गंवाए क्षमा मांग लेनी चाहिए। भारतीय -संस्कृति में शत्रु की स्त्री के लिए भी सम्मान युक्त शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। ये मोदी -संस्कृति है जो सोनिया जी के प्रति व्यंग्यपूर्ण भाव में ''मैडम सोनिया '' बोलकर जनता से तालियाँ बटोरती है। मधुसूदन जी को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि राहुल जी तो कांग्रेसी नेताओं द्वारा विपक्ष के पुरुष नेताओं पर किये गए अभद्र बयानों तक को पसंद नहीं करते हैं तब सुषमा जी जैसी गरिमापूर्ण विपक्ष की नेत्री पर एक कॉंग्रेसी नेता द्वारा अभद्र बयान देना कैसे पसंद किया सकता है। बेहतर है मोदी -संस्कृति बीजेपी तक ही सीमित रहे। हमें तो कॉंग्रेसी संस्कृति का सम्मान करना ही चाहिए -
हमें मालूम है वो पीठ पीछे खंजर चुभाते हैं
मगर हम फूल देकर जख्मों का बदला चुकाते हैं !''
भारतीय नारी की गरिमा को बनाये रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
जय -हिन्द , जय -भारत
शिखा कौशिक 'नूतन '
2 टिप्पणियां:
right view
काँग्रेश हो या भाजपा शब्दों पर नियन्त्रण किसी के नहीं हैं।
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