शौहर से बहस करती हो भई तुम तो हद करती हो !
शौहर से न डरती हो भई तुम तो हद करती हो !
..........................................................
मैं आँखें दिखाता हूँ फिर हाथ उठाता हूँ ,
दबाने से न दबती हो भई तुम तो हद करती हो !
..................................................
मैं इल्ज़ाम लगाता हूँ फिर करता हूँ ज़लील ,
तुम मुझ पे ही हंसती हो भई तुम तो हद करती हो !
.............................................................
मैंने तो काट डाले ख्वाबों के तेरे पंख ,
बिना पंख ही उड़ती हो भई तुम तो हद करती हो !
..................................................................
'नूतन'जो क़त्ल करने को तलवार उठाई ,
तुम धार पर चलती हो भई तुम तो हद करती हो !
शिखा कौशिक 'नूतन'
4 टिप्पणियां:
nice expression .
तुम डाल-डाल हम पात-पात !
हद औरत ने नहीं की पुरूष ने की हैं....
तुम धार पर चलती हो भई तुम तो हद करती हो !
--- क्या बात है ...यह बात आखिर कुछ पुरुषों के समझ क्यों नहीं आती....
एक टिप्पणी भेजें