मंगलवार, 11 मार्च 2014

बेटियां मोती नहीं ये तो कोहिनूर हैं !

बेटियां मोती नहीं जिनकी चमक कम हो कभी !
ये तो कोहिनूर हैं न चमक कम हो कभी !
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ये नहीं हैं चांदनी घट-घट के फिर-फिर बढ़ें ,
ये दमकती दामिनी न दमक कम हो कभी !
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ये नहीं नाज़ुक कली जिसको मसल दे कोई भी ,
ये हैं चन्दन की तरह न महक कम हो कभी !
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ये नहीं तितली कि इठलाती फिरे फूलों पे जो ,
ये कुहुकती कोयलें न चहक कम हो कभी !
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ये नहीं अबला हैं 'नूतन' ये तो शक्तिमान हैं ,
स्वाभिमानी बेटियों की न ठसक कम हो कभी !

शिखा कौशिक 'नूतन'

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