सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

‘ करवा चौथ जैसे त्यौहार क्यों मनाये जाते हैं ?’


' करवा चौथ जैसे त्यौहार क्यों मनाये  जाते  हैं ?'


अरी सुहागनों ! जरा धीरे से हंसो ,
यूं ना कहकहे लगाओ
जानते हैं आज करवा चौथ है ,
पर तुम्हारी  कुछ माताएं ,
बहने ,बेटियां और सखियाँ
असहज महसूस कर रही हैं आज के दिन
क्योंकि वे सुहागन नहीं हैं !!
...........................................
वर्ष भर तुमको रहता है
इसी त्यौहार का ;इसी दिन का इंतजार ,
पर जो सुहागन नहीं हैं
उनसे पूछो इस त्यौहार के आने से पूर्व के दिन
और इस दिन कैसा सूनापन
भर जाता है उनके जीवन में !
.................................
अरे सुनती नहीं हो !
धीरे चलो !
तुम्हारी पाजेब की छम-छम
'उन' की भावनाओं को आहत कर रही हैं ,
वे इस दिन कितना भयभीत हैं !
जैसे किसी महान अपराध के लिए
वर्ष के इस दिन दे दी जाती है
उन्हें 'काले पानी ' की सजा !
........................................
इतना श्रृंगार  कर ,
चूड़ियाँ खनकाकर ,
हथेलियों पर मेहँदी रचाकर,
लाल साड़ी पहनकर ,
सिन्दूर सजाकर
तुम क्यों  गौरवान्वित हो रही हो
अपने सौभाग्यवती होने पर  !
......................................
कल तक कितनी ही तुम्हारी
जाति  की यूं ही होती थी गौरवान्वित
पर आज चाहती हैं छिपा लें
खुद को सारे ज़माने से इस दिन
ऐसे जैसे कोई  अस्तित्व ही नहीं है
उनका इस दुनिया में !
...............................................
ये भी भला कोई सौभाग्य हुआ
जो पुरुष के होने से है अन्यथा
स्त्री को बना देता है मनहूस ,
कमबख्त और हीन !
................................................................
ऐसे त्यौहार क्यों मनाये  जाते  हैं ?
जो स्त्री -स्त्री को बाँट  देते  हैं ,
एक  को देते  हैं हक़
हंसने का ,मुस्कुराने का
और दूसरी को
लांछित कर ,लज्जित कर ,
तानों की कटार  से काँट देते हैं !
.....................................................

शिखा कौशिक 'नूतन'

6 टिप्‍पणियां:

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

ye bhi prastuti ka sundar tarika shikha jeee ...acchhi lagi mujhe ...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

कोई अत्यावश्यक नहीं है ....महिलाओं की मर्जी है मनाएं न मनाएं .....जिसमें उन्हें खुशी मिले वही करें ......

डा श्याम गुप्त ने कहा…

--वैसे मुझे ज्ञात हुआ है कि इस व्रत का भी एक उम्र /समय के उपरांत उद्यापन होता है (अर्थात व्रत रखना बंद कर दिया जाता है), अन्य व्रतों की भाँति...अर्थात क्या अब पति की दीर्घायु की आवश्यकता नहीं रही....
----अतः निश्चय ही करवा चौथ व्रत रखना अत्यावश्यक नहीं अपितु ऐच्छिक है अन्यथा पति की या स्वयं की मृत्यु तक होना चाहिए .....

Unknown ने कहा…

एक औरत पुऱूष के लिए क्यों व्रत करे मुझे तो इस पर भी ऐतराज हैं
कविता के लिए.....आभार

Unknown ने कहा…

एक औरत पुऱूष के लिए क्यों व्रत करे मुझे तो इस पर भी ऐतराज हैं
कविता के लिए.....आभार

Unknown ने कहा…

एक औरत पुऱूष के लिए क्यों व्रत करे मुझे तो इस पर भी ऐतराज हैं
कविता के लिए.....आभार