चमकी चमकी बेटियां चमकी
चारों दिशाओं में चर्चा है उनकी !
ढूंढ लाई हैं समंदर से सच्चे मोती ,
चूम ली है एवरेस्ट की ऊँची छोटी ,
खिलखिलाकर कलियाँ फूल बन महकी !
चमकी चमकी बेटियां चमकी
चारों दिशाओं में चर्चा है उनकी !
दिल हुआ फौलाद अब तेजाब का ना डर,
रोक सकती है नहीं चौखट न कोई दर ,
जोश में भरकर चली क्या लेगी क्या धमकी !
चमकी चमकी बेटियां चमकी
चारों दिशाओं में चर्चा है उनकी !
अब नहीं चिंगारियां ये आग का दरिया
सख्त हैं इनके इरादे ये नहीं परियां ,
खोल देंगी ये तरक्की के सभी खिड़की !
चमकी चमकी बेटियां चमकी
चारों दिशाओं में चर्चा है उनकी !
न रहेंगी चुप पुरजोर चीखेंगी ,
हर हुनर लड़कों के साथ साथ सीखेंगी ,
ये किरण बन चमकेंगी आशाएं ये कल की !
चमकी चमकी बेटियां चमकी
चारों दिशाओं में चर्चा है उनकी !
शिखा कौशिक 'नूतन'
4 टिप्पणियां:
दिल हुआ फौलाद अब तेजाब का ना डर,
रोक सकती है नहीं चौखट न कोई दर ,
जोश में भरकर चली क्या लेगी क्या धमकी !
चमकी चमकी बेटियां चमकी
ऐसा हो जाये तो आनंद आ जाये .बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .बधाई
स पोस्ट की चर्चा, शुक्रवार, दिनांक :-18/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -27 पर.
आप भी पधारें, सादर ....नीरज पाल।
बेटियां आंगन का फूल फिर भी बाप के कंधों का बोझ नहीं बदला अच्छी कविता आभार
समाज ने इसे बाप के कंधे का बोझ बनाकर रखा है
कब होगा परिवर्तन ?
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