भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता -४ प्रविष्टि -२ [रचनाकार -श्री तरुण कुमार 'सावन' ]
कविता– देश का भेष [– तरूण कुमार,सावन]
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बदलने को तो देश का भेष कम नहीं बदला ।
मांग का सिंदूर हाथों में मेहंदी का चलन नहीं बदला ।
मां का ममतामई आंचल दुध का रंग नहीं बदला ।
बहन का प्यार वो राखी का बंधन नहीं बदला ।
बेटियां आगन का फूल बाप के कंधों का बोझ नहीं बदला ।
घर के चिरागों की खातिर अजन्माओं की हत्या का
सिलसिला नहीं बदला ।
व्रत रखें कोई सावित्री, सीता की अग्निपरीक्षा का
मंजर नहीं बदला ।
सदियां बदली हैं,जमाना बदला हैं, यूं तो औरत का
रूप-रंग कम नहीं बदला ।
मगर औरत की आंखों से अश्कों का रिस्ता नहीं बदला ।
बदलने को तो देश का भेष कम नहीं बदला ।
तरूण कुमार `सावन`
नाम – तरूण कुमार,सावन
शिक्षा- एम.ए (समाज शास्त्र)
अमर उजाला काँम्पैक्ट, अमर उजाला, डी एल ए, आदि समाचार पत्रों में लेख शायरी,लधुकथा, कविता प्रकाशित।
चौथी दुनिया समाचार पत्र व राजकमल प्रकासन समूह से लेखन विधा सम्मान से सम्मानित।
शिक्षा- एम.ए (समाज शास्त्र)
अमर उजाला काँम्पैक्ट, अमर उजाला, डी एल ए, आदि समाचार पत्रों में लेख शायरी,लधुकथा, कविता प्रकाशित।
चौथी दुनिया समाचार पत्र व राजकमल प्रकासन समूह से लेखन विधा सम्मान से सम्मानित।
प्रस्तुतकर्ता -शिखा कौशिक 'नूतन '
5 टिप्पणियां:
sarthak prastuti hetu badhai .
satya abhivyakti savan ji
सार्थक प्रस्तुति |
Ek Achhi Rachna Ka Varnan Aapke Dwara, Thank You for sharing.
Padhe Love Stories, प्यार की बात aur Bhi Bahut Kuch Online.
आप सभी का आभार.....
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