गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

आ छुपा है कौन ---गीत--डा श्याम गुप्त



नयन के द्वारे ह्रदय में,
आ बसा है कौन ?
खोल मन की  अर्गलायें ,
आ छुपा है कौन ?          -----नयन के द्वारे......||

कौन है मन की धरोहर,
यूं चुराए जारहा |
दिले-सहरा में सुगन्धित,
गुल खिलाए जारहा |

कौन सूनी राह पर,
प्रेमिल स्वरों में  ढाल कर ;
मोहिनी मुरली अधर धर,
मन लुभाए जारहा |

धडकनों की राह से,
नस नस समाया कौन ?        
लीन  मुझको  कर, स्वयं-
मुझ में समाया कौन |        ----नयन के द्वारे ...........||


जन्म जीवन जगत जंगम -
जीव जड़ संसार |
ब्रह्म सत्यं , जगन्मिथ्या ,
ज्ञान अहं अपार |

भक्ति-महिमा-गर्व-
कर्ता की अहं -टंकार |
तोड़ बंधन, आत्म-मंथन ,
योग अपरम्पार |

प्रीति के सुर-काव्य बन,
अंतस समाया मौन  ,
मैं हूँ यह या तुम स्वयं हो -
कौन मैं तुम कौन ?               -----नयन के द्वारे .....||






5 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

.सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति फाँसी : पूर्ण समाधान नहीं

देवदत्त प्रसून ने कहा…

शब्द सुन्दर,भाव कोमल |
दे र्ताहे आनन्द पल पल ||

देवदत्त प्रसून ने कहा…

शब्द सुन्दर,भाव कोमल |
दे रहे आनन्द पल पल ||

Mamta Bajpai ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना आभार

Arshad Ali ने कहा…

SADHI HUI RACHNA...AAPKI LEKHNI KA KAYAL HO GAYA...BEHTREEN BHAW PURN.