डिम्पल तुम्हारे साथ पूरा हिंदुस्तान है !
भारतीय नारी परिवार तुम्हारे संघर्ष को सलाम करता है और एक बात संतान कभी अवैध नहीं होती .धिक्कार है ऐसे पुरुष पर जो अपनी संतान को अपने स्वार्थ की बलिवेदी पर चढ़ा देता है .समाज की सोच बदल रही है .छली पुरुष का साथ कोई समाज नहीं देगा .
शिखा कौशिक 'नूतन '
इस पोस्ट को पढ़े और जाने आज की भारतीय नारी को जो घुटने नहीं टेकती .जो लडती है उस छल के विरुद्ध जिसकी आग में उसकी संतान का भविष्य जलाया जा रहा है और विस्मित करने वाली बात ये है की संतान उस दूसरे व्यक्ति की भी है पर ...वो केवल अपने स्वार्थ में अँधा है-
जब मैं मुंबई में थी तो सुना करती थी की उत्तरप्रदेश में अपराध का
बोलबाला है, भावनाओ की कोई कीमत नहीं है, मैं भदोही आने से डर रही थी।
सोचती थी मैं अपनी बेटी के हक़ के लिए जा रही हूँ, पता नहीं मेरे साथ क्या
होगा। पर मन में एक सोच यह भी थी यदि अपने मान सम्मान के लिए और नारी जाती
के अधिकारों के लिए हिम्मत जूटा रही हूँ तो लोगो का साथ अवश्य मिलेगा।
मेरे फेसबुक के साथियों ने मेरा हौसला भी बढाया था, पर सच बात तो यह थी की
मन में हिचकिचाहट भी थी। फिर सोचा जब कदम बढ़ा दिया है तो पीछे क्या
हटाना, यदि अपने अधिकारों के लिए लड़ना है तो हिम्मत जुटानी ही पड़ेगी।
फेसबुक के साथियों ने हौसला दिया। जब मैंने वाराणसी की धरती पर कदम रखा तो
उत्तरप्रदेश के बारे में मेरी सोच बदलनी शुरू हो गयी। एक साधारण सी घरेलू
महिला जब पहुंची तो उसका भरपूर स्वागत किया गया। मुझे पता था यह सम्मान
मेरे लिए नहीं था। बल्कि मेरे मुद्दे के प्रति था। यदि अपने सम्मान की
रक्षा में मेरे प्राण भी जाते है तो मुझे परवाह नहीं। भदोही के लोंगो ने
मुझे अपनी बेटी और बहन के जैसा सम्मान दिया।
लोग कहते थे की उत्तरप्रदेश में कोई सुरक्षित नहीं है। पर लोंगो ने सब गलत कहा था। एक अकेली महिला जब अपनी बच्ची को लेकर यहाँ पहुँचने के बाद सुरक्षित है और बिना भय के है तो लोग सुरक्षित क्यों नहीं है।
मैं आपके भदोही जनपद की कानून व्यवस्था को भी धन्यवाद देना चाहूंगी। मैंने यहाँ के जिलाधिकारी जी को सिर्फ फेसबूक के जरिये एक सन्देश भेजा था। पर उन्होंने मेरी बात को गंभीरता से लिया। जब मैं गाँव में पहुंची तो वहा मेरी सुरक्षा का पूरा इंतजाम था।
सबसे बड़ी बात तो यह है की भदोही के लोंगो में भारतीय संस्कृति और सम्मान का भाव है। यहाँ के लोग अन्याय के खिलाफ बोलना जानते है। मैं लोंगो के लिए परायी थी किन्तु उनकी अपनी बन गयी। सच कहू तो मुझे आपके प्रदेश में पहुंचते ही इंसाफ मिल गया। मैं सोचती थी की जब मेरी बेटी बड़ी होगी तो लोग उसे नाजायज़ कहेंगे। पर अब नहीं क्योंकि गाव के लोंगो ने मुझे बहू माना। पूरे जिले ने मुझे बहू माना। फिर मेरी बेटी नाजायज कैसे।
शायद भदोही के लोंगो में जिस तरह महिलाओ के लिए सम्मान है और लोग अन्याय के खिलाफ बोलना जानते है यदि इसी तरह देश के सभी लोग हो जाय तो किसी भी महिला साथ अन्याय नहीं होगा। किसी की भी बहन बेटी इस तरह सडको पर भटकने को मजबूर नहीं होगी। जिस तरह भदोही की पंचायते अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है यदि देश की सभी पंचायते जागरूक हो जाय तो किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।
डिम्पल जी यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं बल्कि उन सभी महिलाओ की है जो अन्याय का शिकार हुयी है और न्याय पाने के लिए दर दर भटक रही है।
मैं धन्यवाद भदोही की मीडिया को भी देना चाहूंगी। एक छोटे से शहर में रहकर भी किसी बेसहारा महिला की आवाज़ पूरे देश में पहुचने का माद्दा यहाँ की मीडिया रखती है।
डिंपल जी मैं आप से मिल तो सकती नहीं पर आप अपने पति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश जी को मेरी तरफ से जरूर धन्यवाद दीजियेगा की उनके प्रदेश में नारी का सम्मान है। यहाँ की पंचायते अभी भी भारतीय संस्कृतियों का सम्मान करती है।
आपकी ----- डिंपल मिश्रा ''
[
मेरी बातेंसुश्री डिम्पल मिश्रा |
भारतीय नारी परिवार तुम्हारे संघर्ष को सलाम करता है और एक बात संतान कभी अवैध नहीं होती .धिक्कार है ऐसे पुरुष पर जो अपनी संतान को अपने स्वार्थ की बलिवेदी पर चढ़ा देता है .समाज की सोच बदल रही है .छली पुरुष का साथ कोई समाज नहीं देगा .
शिखा कौशिक 'नूतन '
इस पोस्ट को पढ़े और जाने आज की भारतीय नारी को जो घुटने नहीं टेकती .जो लडती है उस छल के विरुद्ध जिसकी आग में उसकी संतान का भविष्य जलाया जा रहा है और विस्मित करने वाली बात ये है की संतान उस दूसरे व्यक्ति की भी है पर ...वो केवल अपने स्वार्थ में अँधा है-
मेरी बातें
डिंपल यादव जी आपके प्रदेश में नारी का सम्मान है - डिंपल मिश्रा
लोग कहते थे की उत्तरप्रदेश में कोई सुरक्षित नहीं है। पर लोंगो ने सब गलत कहा था। एक अकेली महिला जब अपनी बच्ची को लेकर यहाँ पहुँचने के बाद सुरक्षित है और बिना भय के है तो लोग सुरक्षित क्यों नहीं है।
मैं आपके भदोही जनपद की कानून व्यवस्था को भी धन्यवाद देना चाहूंगी। मैंने यहाँ के जिलाधिकारी जी को सिर्फ फेसबूक के जरिये एक सन्देश भेजा था। पर उन्होंने मेरी बात को गंभीरता से लिया। जब मैं गाँव में पहुंची तो वहा मेरी सुरक्षा का पूरा इंतजाम था।
सबसे बड़ी बात तो यह है की भदोही के लोंगो में भारतीय संस्कृति और सम्मान का भाव है। यहाँ के लोग अन्याय के खिलाफ बोलना जानते है। मैं लोंगो के लिए परायी थी किन्तु उनकी अपनी बन गयी। सच कहू तो मुझे आपके प्रदेश में पहुंचते ही इंसाफ मिल गया। मैं सोचती थी की जब मेरी बेटी बड़ी होगी तो लोग उसे नाजायज़ कहेंगे। पर अब नहीं क्योंकि गाव के लोंगो ने मुझे बहू माना। पूरे जिले ने मुझे बहू माना। फिर मेरी बेटी नाजायज कैसे।
शायद भदोही के लोंगो में जिस तरह महिलाओ के लिए सम्मान है और लोग अन्याय के खिलाफ बोलना जानते है यदि इसी तरह देश के सभी लोग हो जाय तो किसी भी महिला साथ अन्याय नहीं होगा। किसी की भी बहन बेटी इस तरह सडको पर भटकने को मजबूर नहीं होगी। जिस तरह भदोही की पंचायते अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है यदि देश की सभी पंचायते जागरूक हो जाय तो किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।
डिम्पल जी यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं बल्कि उन सभी महिलाओ की है जो अन्याय का शिकार हुयी है और न्याय पाने के लिए दर दर भटक रही है।
मैं धन्यवाद भदोही की मीडिया को भी देना चाहूंगी। एक छोटे से शहर में रहकर भी किसी बेसहारा महिला की आवाज़ पूरे देश में पहुचने का माद्दा यहाँ की मीडिया रखती है।
डिंपल जी मैं आप से मिल तो सकती नहीं पर आप अपने पति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश जी को मेरी तरफ से जरूर धन्यवाद दीजियेगा की उनके प्रदेश में नारी का सम्मान है। यहाँ की पंचायते अभी भी भारतीय संस्कृतियों का सम्मान करती है।
आपकी ----- डिंपल मिश्रा ''
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2 टिप्पणियां:
डिम्पल जी -आपने संघर्ष द्वारा अपनी पुत्री को समाज में वैध संतान का दर्जा दिलाया है .वैसे मेरा मानना है कि संतान कोई अवैध नहीं होती .आपकी पोस्ट का लिंक यहाँ भी है .देखें -डिम्पल तुम्हारे साथ पूरा हिंदुस्तान है !
डिम्पल मिश्रा ने जो भी किया है बिलकुल सही किया है और सभी को उनका साथ देना चाहिए .शानदार प्रस्तुति द्वारा आपने डिम्पल के साथ न्याय तो किया ही है समस्त नारी जगत के प्रति सम्मान भी प्रदर्शित किया है .आभार माननीय कुलाधिपति जी पहले अवलोकन तो किया होता
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