रविवार, 11 दिसंबर 2011

जिंदगी के रंग -बच्चे ने सिखाया देश प्रेम का पाठ

                                  बात जुलाई 1999 की है ,हर साल की तरह इस साल भी मेरे चार साल के बेटे का जन्म दिन आने वाला था। परिवार में पार्टी के आयोजन पर विचार-विमर्श चल रहा था ,कहां आयोजित की जाय, कितने लोगो को आंमत्रित किया जाय क्या मीनू बनाया जाय। उस समय देश में कारगिल युद्ध चल रहा था, समाचार पत्र व टी.वी. पर आये दिन यही समाचार देखने व सुनने को मिल रहे थे। हमारी चर्चा का विषय भी कारगिल युद्ध था। कितने सैनिक हताहत हुए,े कितने मर गये उनके परिवार का क्या होगा इसी पर चर्चा होती थी। सरकार द्वारा भी लोगों से सहायता की अपील की जा रही थी। पुरा देश मुक्त हाथों से कारगिल सहायता कोष में कुछ न कुछ दे रहा था। मेरा बेटा भी बडे ध्यान से इन बातों को सुन रहा था। ऐसे माहौल में मैने 13 जुलाई 1999 को जन्म दिन पार्टी के आयोजन का निर्णय लिया क्योंकि देश प्रेम पर मातृत्व प्रेम हावी हो गया। लेकिन मेरे बेटे ने इन्कार कर दिया और कहा कि मम्मी क्यांे न हम जन्म दिन पार्टी पर होने वाला पैसा कारगिल सहायता कोष में जमा करा दे ताकि हमारे देश पर शहीद होने वाले सैनिको के परिवार के काम आ सके। उसके नन्हे हाथों द्वारा किये गये अन्श दान ने मेरे मातृत्व को धन्य कर दिया । मुझे जिंदगी में अपने परिवार से उपर उठकर देश के बारे में सोचने की प्रेरणा मेरे नन्हे बेटे से मिली और मैने हर जन्म दिन पर परोपकार के कार्यो को करने का जो संकल्प लिया था, जो आज भी सतत चल रहा हे।

                                                                                           श्रीमती भुवनेश्वरी मालोत
                                                                                                      



6 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

क्या कहूं अब ? मै तो धन्य हो गयी जब आज इस देश मे ऐसी भावना एक बच्चे मे है तो फिर कोई ताकत नही जो हमारे देशप्रेम के जज़्बे को कम कर सके या हमारी तरफ़ आँख उठाकर देख सके…………आपके बेटे को मेरी तरफ़ से ढेर सा प्यार और आशीर्वाद्…………ईश्वर उसमे ये जज़्बा उम्रभर बनाये रखे।

virendra sharma ने कहा…

सुन्दर प्रेरक अनुकरणीय संकल्प .बधाई .दरअसल हम बच्चों से बहुत कुछ सीख सकतें हैं ज़रुरत निरपेक्ष होकर एहम विसर्जित कर उन्हें देखने बूझने की है .लेकिन हम तो उन पर तारी रहतें हैं .

Monika Jain ने कहा…

bhut khub..agar har kisi ki yahi soch ho jaye to desh kitna khushaal ho jaaye.mere blog par aapka swagat hai.

हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग ने कहा…

Bachche samvedansheel hote. We bhi doosre ke dookh dard mahshoos karte hai. Unke jeevan se kuchh seekhkar aadmi apna jeevan sarl evm sukhmay bana sakta hai. Badhiya post.

sangita ने कहा…

आपके बेटे को बधाई की इस छोटी सी उम्र में उसने देश के विषय में सोचा |

रविकर ने कहा…

अनुकरणीय ||