नारी सब जग तेरी छाया ।
सारे जग का प्रेम औ ममता तेरे मन ही समाया |
तेरी प्रीति की रीति ही तो है जग की छाया माया |
ममता रूपी माँ के पग तल सारा जगत सुहाया |
प्रेम की सुन्दर नीति बनी तो जग में प्यार बसाया |
भगिनी पुत्री विविधि रूप बन जग संसार रचाया |
आदि-शक्ति सरस्वती औ गौरी लक्ष्मी रूप सजाया |
राधा बन कान्हा को नचाये सारा जगत नचाया |
श्याम' कामिनी सखी प्रिया प्रेयसि बन मन भरमाया ||
सारे जग का प्रेम औ ममता तेरे मन ही समाया |
तेरी प्रीति की रीति ही तो है जग की छाया माया |
ममता रूपी माँ के पग तल सारा जगत सुहाया |
प्रेम की सुन्दर नीति बनी तो जग में प्यार बसाया |
भगिनी पुत्री विविधि रूप बन जग संसार रचाया |
आदि-शक्ति सरस्वती औ गौरी लक्ष्मी रूप सजाया |
राधा बन कान्हा को नचाये सारा जगत नचाया |
श्याम' कामिनी सखी प्रिया प्रेयसि बन मन भरमाया ||
1 टिप्पणी:
NAV VARSH MANGALMAY HO ||
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