रविवार, 27 नवंबर 2011

नई दुल्हन -मैं, माॅ व मायके से बचे

      विवाह के बाद इस गाने के साथ ’बाबुल की दुआॅए लेती जा:ःःःःःःःमायके की कभी याद न आये,दुल्हन की विदाई होती है।दुल्हन भी दिल में कई सपने संजोये व हसरत लिए सुसराल में कदम रखती है,लेकिन सुसराल में अपने पिया की प्रिया बनने के साथ सास-ससुर की दुलारी बहु, देवर व नंनद की प्यारी मां स्वरूपा भाभी भी बनना हैै।नई दुल्हन सुसराल वालो के लिए आकर्षण का केन्द्र बिन्दु होती है,समस्त परिवार की निगाहें उसके चाल,व्यवहार ,हॅसने व उठने -बैठने  पर होती है, ऐसे समय में नई दुल्हन को कुछ बातों को भुलना होगा कुछ को अपनाना होगा। सर्वप्रथम नई दुल्हन को अपने अहम् को त्यागकर ‘मै’ के स्थान पर हम को अपनाना होगा। मर्यादित व शिष्टतापूर्ण व्यवहार से सुसराल वालो को अपना बनाना चाहिए।  माॅ का स्थान सुसराल में सासुमां को देना होगा। मीठी वाणी से सबके दिलो पर राज करना होगा। बात-बात मेें मायके के गुणगान न करके सुसराल को प्राथमिकता देनी चाहिये। नई दुल्हन को सुसराल के तौर-तरिको पर टीका-टिप्पणी न करके धीरे-धीरे इसे समझने ,अपनाने व जानने की कोशिश करनी चाहिए, नापंसद होने पर समय व माहौल के साथ बदलने की कोशिश करनी चाहिए। नई दुल्हन को अपनी चाल व आवाज को संयमित रखकर चलना और बोलना, न की हाथों को हिलाते हुए तेज-तेज स्वर में बोलना चाहिए। नई दुल्हन सुसराल में सिर पर पल्लू  लेना न भूले,इसे अपनी पहचान और सुसराल की शान समझे । नई दुल्हन सुसराल में प्यार के बदले प्यार बाॅटे ,न की सुसराल वालो के प्यार का अनुचित फायदा उठाकर,गलत व्यवहार करे। पति की बाॅस बनने की कोशिश न करे, बल्कि अपने प्यार व व्यवहार से धीरे-धीरे उनका विश्वास व दिल जीते । नई दुल्हन को सुसराल में छोटे-बडे रिश्तो की अहमियत को समझते हुए,उनके अनुसार आदर ,प्यार दुलार और सम्मान देना चाहिए। सुसराल में नौकरो के साथ भी नम्रता पूर्ण व्यवहार रखे। सुसराल वालोे से लेना ही नहीं ,देना भी सीखे । सुसराल में खुशनुमा माहौल के लिए त्याग करना पडे तो करे और हमेशा सहयोग के लिए तैयार रहे। नई दुल्हन हमेशा इस बात को समझे कि आपका पति पहले किसी का बेटा  और भाई है,इस पर हक जताकर माॅ व बहन के प्यार को ठेस न पहुचाए। सास-सुसर को दिल से माता-पिता समझे और माता-पिता की तरह सम्मान  और प्यार दें।इन बातों का ध्यान रखकर नई दुल्हन सुसराल में अपना स्थान बनाकर सबकी दुलारी बहु ,भाभी व प्रिया का खिताब जीत सकती है।              प्रेषकः-
              श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत
              अस्पताल चैराहा
              महादेव कॅंालोनी
              बाॅंसवाडा राज

2 टिप्‍पणियां:

S.N SHUKLA ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति, आभार.
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संतोष त्रिवेदी ने कहा…

ब्लॉग को हल्का कर दें,कुछ भी नहीं पढ़ा जाता है,विषय को उभरने दें,सफाई कर डालें ब्लॉग की !आभार !