शुक्रवार, 3 अप्रैल 2015

''भाव ही सबसे सुन्दर ''-लघु कथा


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''भाव ही सबसे सुन्दर ''-लघु कथा
लड़के ने कहा 'तुम्हारी आँखें बहुत सुन्दर हैं !'' लड़की मुस्कुराई और बोली -'' आँखें नहीं ...इनमें तुम्हारे प्रति झलकता प्यार का भाव सुन्दर है !'' लड़का बोला -'' तुम्हारे होंठ गुलाब की पंखुड़ियों के समान सुन्दर हैं !'' लड़की हँसी ,उसके गालो पर लाली छा गयी और वो बोली -''मेरे होंठ सुन्दर नहीं ..ये तुम्हारे कोमल भाव हैं मेरे प्रति जिसके कारण तुम्हें ये गुलाब की पंखुड़ियां लग रहे हैं ..नहीं तो ये बहुत साधारण हैं !'' लड़के ने कहा -'' तुम्हारे गालो पर आई ये लालिमा कितनी मादक है !'' लड़की ने कहा-''ये तो तुहारे द्वारा की जा रही प्रशंसा के कारण उत्पन्न लज्जा भाव का कमाल है !'' लड़का झुंझलाकर बोला -''ओफ्फो !!! मैं तुम्हारी सुंदरता की प्रशंसा कर रहा हूँ और तुम हो कि भाव ..भाव ...भाव लिए बैठी हो !'' लड़की ठहाका लगाकर बोली -'' जो जीवित है उसमे जो भी सुंदरता है वो भावों की है ..देह की नहीं ! तुम ऐसा करना जब मैं मर जाऊं तब इस देह के प्रशंसा करना तब तुम्हें पता चलेगा कि भावों से रहित सुन्दर देह कितनी वीभत्स होती है !!''


शिखा कौशिक 'नूतन'

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हनुमान जयन्ती की हार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल रविवार (05-04-2015) को "प्रकृति के रंग-मनुहार वाले दिन" { चर्चा - 1938 } पर भी होगी!
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Shalini kaushik ने कहा…

bahut sundar bhavon ko shabdon me sanjoya hai aapne .very nice .

डा श्याम गुप्त ने कहा…

सुन्दर ..परन्तु भाव देह में ही आते हैं ....

dj ने कहा…

भावों से परिपूर्ण