दोस्त नहीं दुश्मन-लघु कथा |
कॉलेज कैंटीन में चाय की चुस्की लेते हुए सोहन व्यंग्यमयी वाणी में रवि को उकसाता हुआ बोला -''अरे रवि आज तो पूजा ने तेरी तरफ देखा भी नहीं .क्या बात है ? दूध में से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया क्या ? '' सोहन की इस बात पर रवि कुछ बोलता इससे पहले ही अमर भड़कता हुआ बोला -''सोहन ये क्या तरीका हुआ किसी के पर्सनल मैटर्स पर बोलने का ! तुम तो तफरीह लेने के लिए ऐसी बातें कर के चलते बनोगे और यदि रवि का अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न रहा और वो पूजा के साथ कुछ गलत कर बैठा तो क्या उसकी जिम्मेदारी तुम लोगे ?तुम्हारा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा ..हां ...रवि जरूर अपराधी बन जायेगा .'' अमर के ये कहते ही सोहन उसकी बात को हवा में उड़ाता हुआ हुआ बोला -'' अरे यार तुम तो बहुत सीरियसली ले रहो हो मेरी मजाक को .'' सोहन के इन शब्दों को अनसुना करते हुए अमर रवि का हाथ पकड़कर खड़ा होता हुआ बोला -'' तुम्हारा तो मजाक ही होता है पर किसी की जान पर बन आती है .रवि उठो !..ऐसे दोस्तों से बचकर रहो ..ये दोस्त नहीं दुश्मन होते हैं .'' अमर के ये कहते ही रवि उठकर खड़ा हो कर उसके साथ चल दिया और सोहन खिसियाते हुआ यही कहता रह गया -'' अरे सुनों तो मेरा वो मतलब नहीं था .''
शिखा कौशिक 'नूतन '
3 टिप्पणियां:
लम्बी अवक्धिके बाद अभिवादन !
अच्छी पंक्तियाँ हैं ! कहानी अच्छी है !
सत्य कहा आपने आपकी लघु कथा सत्य कह गयी
सही कहा आपने.किसी की भी
भावनाओं से खेलना नही चाहिए.
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