सोमवार, 6 जनवरी 2014

बेगमें तो होती हैं अहसानफरामोश !

Arab Couple - stock vector
अहसान नहीं मानती हैं अहसानफरामोश !
बेगमें तो होती हैं अहसानफरामोश !
...................................................
करती नहीं शौहर की थोड़ी सी भी तारीफ ,
सिल जाते लब हैं इनके हो जाती हैं खामोश !
.....................................................
कहती हैं दो आज़ादी गुलाम नहीं हम ,
घर कौन संभालेगा इसका नहीं है होश !
..........................................
शौहर करे हिफाज़त वो पालता इन्हें ,
इज्जत से रहे बेगम हो जाता है सरफ़रोश !
...................................................
ज़ालिम हमारा शौहर बेकार है ऐलान ,
'नूतन' ज़माना जानता हम हैं सफेदपोश !

शिखा कौशिक 'नूतन'

6 टिप्‍पणियां:

Digvijay Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना बुधवार 08/01/2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

बेनामी ने कहा…

THANKS

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर व् सार्थक अभिव्यक्ति .नव वर्ष २०१४ की हार्दिक शुभकामनायें .

डा श्याम गुप्त ने कहा…

क्या कहना चाहती हैं ...स्पष्ट नहीं है.....

कौशल लाल ने कहा…

क्या बात है .....

Unknown ने कहा…

समझ से परे.