रेप इण्डिया में नहीं भारत में ही होते हैं !
![Is crime against women an issue of 'Bharat' versus 'India'? Is crime against women an issue of 'Bharat' versus 'India'?](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_tJphLxvrX2F7UevRVyWZposzbKVb5qP207fcE2XMWj01bgSlbHN7pbj3TD7UfZb7XNYI-GN3YmatGw7OdyAz1WikE1-7JCxPD82ADJaiivbfX1Qs74Piy6kf5ROj5ajCN5YYICSYFjDFvms0U0p3VXxHMXucBqeiyS=s0-d)
![Besides new legislations, Indian ethos and attitude towards women should be revisited in the context of ancient Indian values, says RSS chief Mohan Bhagwat. Mohan Bhagwat](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_uOC0KuP8p6eQszSXGciBucuvnRMTSLUqgnDJbcNgix6P7WQIyLeewz7dMW1iPrLYNrO_rUIhjmRkTbcpN8s9pyQuaViXnKMCetXJAOneco-Xx_Do-D2U2FzfXa_U-_X_9FNyzEbB4VrBbMSkIXL5QHx6YpkziPPI6sA0DTFY7Nwz3J_9lADGkyWw41D1g=s0-d)
भागवत जी ने जो कहा वो बिना सोचे समझे कहा है यदि वे पाश्चात्य संस्कृति और भारतीय संस्कृति का गूढ़ अध्ययन कर बयान देते तो ऐसा बयान कभी न देते कि रेप भारत में नहीं इण्डिया में हो रहे हैं .पाश्चात्य संस्कृति के अनुसरनकर्ता तो आज लिव-इन जैसे संबधों को बढ़ावा दे रहे हैं जहाँ न कोई बंधन है ,न जिम्मेदारी .जितने दिन चाहो मौज मनाओ और अलग हो जाओ और इन संबंधों से उत्त्पन्न संतान को सड़क पर कुत्तों को नोचने के लिए छोड़ दो .इस वर्ग के लोग विवाह जैसी संस्था में विश्वास ही नहीं करते और एक से अधिक पुरुष/स्त्री शारीरिक संबंधों में इन्हें कुछ गलत नज़र नहीं आता .रेप करता है वो वर्ग जो भारतीय संस्कृति के द्वारा विवाह पूर्व शारीरिक संबंधों को अवैध व् विवाह के पश्चात् एक स्त्री से संम्बंध रखने पर जोर देता है और नैतिक रूप से कमजोर अपनी इन्द्रियों को वश में न रख पाने वाला पुरुष ये कुकृत्य कर डालता है .भागवत जी को अपने बयान देते समय बहुत कुछ सोच लेना चाहिए ऐसी मेरी सलाह है उन्हें !
जय हिन्द ! जय भारत !
शिखा कौशिक 'नूतन '
भागवत जी ने जो कहा वो बिना सोचे समझे कहा है यदि वे पाश्चात्य संस्कृति और भारतीय संस्कृति का गूढ़ अध्ययन कर बयान देते तो ऐसा बयान कभी न देते कि रेप भारत में नहीं इण्डिया में हो रहे हैं .पाश्चात्य संस्कृति के अनुसरनकर्ता तो आज लिव-इन जैसे संबधों को बढ़ावा दे रहे हैं जहाँ न कोई बंधन है ,न जिम्मेदारी .जितने दिन चाहो मौज मनाओ और अलग हो जाओ और इन संबंधों से उत्त्पन्न संतान को सड़क पर कुत्तों को नोचने के लिए छोड़ दो .इस वर्ग के लोग विवाह जैसी संस्था में विश्वास ही नहीं करते और एक से अधिक पुरुष/स्त्री शारीरिक संबंधों में इन्हें कुछ गलत नज़र नहीं आता .रेप करता है वो वर्ग जो भारतीय संस्कृति के द्वारा विवाह पूर्व शारीरिक संबंधों को अवैध व् विवाह के पश्चात् एक स्त्री से संम्बंध रखने पर जोर देता है और नैतिक रूप से कमजोर अपनी इन्द्रियों को वश में न रख पाने वाला पुरुष ये कुकृत्य कर डालता है .भागवत जी को अपने बयान देते समय बहुत कुछ सोच लेना चाहिए ऐसी मेरी सलाह है उन्हें !
जय हिन्द ! जय भारत !
शिखा कौशिक 'नूतन '
6 टिप्पणियां:
एक दम सही कहा ---कुत्तों में रेप नहीं होते... ...सिर्फ दिमाग से काम लेने वाले मानव में ही रेप करता हैं .....
जब भारत सचमुच भारत था तब औरत का हाल यह था कि सत्यकाम ने अपनी माँ जाबाला से अपने पिता का नाम पूछा तो वह वह बता नहीं पाई.
हिन्दी ब्लॉगर पंडित अनुराग शर्मा जी के अनुसार -
"उपनिषदों में जाबालि ऋषि सत्यकाम की कथा है जो जाबाला के पुत्र हैं। जब सत्यकाम के गुरु गौतम ने नये शिष्य बनाने से पहले साक्षात्कार में उनके पिता का गोत्र पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया कि उनकी माँ जाबाला कहती हैं कि उन्होंने बहुत से ऋषियों की सेवा की है, उन्हें ठीक से पता नहीं कि सत्यकाम किसके पुत्र हैं ?"
इस कथा से सच्चे प्राचीन भारत में स्त्री की गरिमा का पूरा पता चल जाता है.
क्रिमिनिल लॉ जर्नल में प्रकाशित आंकड़ों पर नजर डालें तो हाई कोर्ट में 80 फीसदी और सुप्रीम कोर्ट में 75 फीसदी रेप केस ग्रामीण इलाकों से दर्ज थे. वहीं गैंग रेप के जो मामले हाईकोर्ट (75%) और सुप्रीम कोर्ट (68%) में दर्ज हैं उनमें से अधिकांश मोहन भागवत के ‘भारत’ में से ही हैं. बस मीडिया और लाइमलाइट में ना आने के कारण यह मामले दबा दिए जाते हैं.
http://blogkikhabren.blogspot.in/2013/01/balatkar.html
सत्य वचन
यहाँ परसत्यकाम-जाबाली की भ्रामक व गलत कहानी दी गयी है सही कहानी विकीपीडिया पर पढ़ें ...
@ @ श्याम गुप्ता जी ! आप पण्डित अनुराग शर्मा के द्वारा बताई कहानी को भी मानने से इंकार कर रहे हैं और ऐसा दिखा रहे हैं जैसे कि आपने य्ह कथा मूल ग्रंथ में पढी है.
कृपया मूल श्लोक का हवाला दें वर्ना अपनी कल्पनाओं के आधार पर सबको गलत न कहें.
रही मोहन भागवत जी की बात तो वह अपने कथन में केवल मर्द के अधिकार की बात कर रहे हैं। इसी अधिकार को वह औरत के लिए नहीं मानेंगे कि अगर पति उसका भरण-पोषण न कर पाए या उसकी रक्षा न करे तो वह भी अपने पति को छोड़ सकती है। इसी से पता चलता है कि वह संस्कार ही की बात कर रहे हैं न कि वह हिंदू विवाह को क़रार ठहरा रहे हैं।
आप औरतों के हित में क्या चीज़ पाती हैं ?
1. क्या औरत विवाह को एक संस्कार मानकर उसकी पाबंदियों को पूरा करे जैसा कि शास्त्रों में बताया गया है ?
या कि
2. औरत उसे संस्कार न माने और पति से निर्वाह न होने पर तलाक़ ले और चाहे तो फिर से विवाह करके अपने जीवन को सुखी बनाए ?
पहली बात हिंदू धर्म की है और दूसरी बात इसलाम की है।
आप क्या मानना चाहेंगी ?,
यह देखने के साथ यह भी देखें कि सारी दुनिया आज क्या मान रही है ?
क्या यह हक़ीक़त नहीं है कि इसलाम आ चुका है आपके जीवन में धीरे से ?
http://vedquran.blogspot.in/2013/01/blog-post.html
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