शनिवार, 26 जनवरी 2013

गुमशुदा

चित्र गूगल से साभार
गुमशुदा हूँ मैं,
आज भी,
इस दौर में,
दिखती हूँ,
हर जगह,
कंधे से कन्धा मिलाती,
पर मान्यताओं/रुढियों/परम्पराओं में,
मैं ही बिधी हूँ,
कुछ इस तरह,
कि गुमशुदा है मेरी पहचान,
सदियों से।

-नीरज

7 टिप्‍पणियां:

Pratibha Verma ने कहा…

बहुत सुन्दर ...

रविकर ने कहा…

शुभकामनायें ।।

विभूति" ने कहा…

shaskt rachna....

डा श्याम गुप्त ने कहा…

हूँ.... सच कहा ....

पहचान बनाना ही होगा ,
प्रकाश में आना ही होगा |
परम्पराओं को निभाना होगा
रूढ़ियों को मिटाना होगा ||

---तमसो मा ज्योतिर्गमय ...

Shikha Kaushik ने कहा…

गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

kavita verma ने कहा…

sundar.

Unknown ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति |