गुरुवार, 22 जून 2017

मेरे मन की....



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शुक्रिया

मंगलवार, 20 जून 2017

दुष्कर्मी कानून पर हावी

Navodayatimes
१६ दिसंबर २०१२ ,दामिनी गैंगरेप कांड ने हिला दिया था सियासत और समाज को ,चारो तरफ चीत्कार मची थी एक युवती के साथ हुई दरिंदगी को लेकर ,आंदोलन हुए ,सरकार पलटी ,दुष्कर्म सम्बन्धी कानून में बदलाव हुए लगा अब इस देश में नारी जीवन सुरक्षित होने जा रहा है ,जिस कानून में पहले सामूहिक बलात्संग की सजा मात्र १० वर्ष या आजीवन कारावास थी वही कानून अब अपराधियों को २० वर्ष या उनके प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास देने जा रहा था .मगर ये केवल सोच ही थी .  ये साबित करने के लिए किसी बड़े सबूत की आवश्यकता शायद नहीं कही जाएगी कि देश में नारी जीवन एक आपदा से कम नहीं है और इसके सम्बन्ध में चाहे कोई सरकार आये या चाहे कितना ही कठोर कानून ,नारी जीवन को सुरक्षित नहीं किया जा सकता .
 अभी तीन दिन पहले ही महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने २ दया याचिकाएं ख़ारिज कर दी और दोनों ही दया याचिकाएं रेप के आरोपियों द्वारा की गयी थी उनके द्वारा जो २०-२२ साल के लड़के होने के बावजूद एक ४ साल की बच्ची तक पर दया नहीं कर सकते ,उन पर दया की भी नहीं जानी  चाहिए ,और यही सन्देश दिया हमारे महामहिम ने ,किन्तु क्या असर हुआ ,उनकी दया याचिका ख़ारिज हो गयी किन्तु उसके ठीक २ दिन बाद एक ७ वर्षीय बालिका से ऑटो चालक द्वारा फिर उसी घटना को अंजाम दे दिया गया .यूपी के ग्रेटर नॉएडा में एक युवती के साथ गैंगरेप किया गया .इन सभी का ब्यौरा दे रही हैं निम्न क्लिपिंग्स-

 राष्‍ट्रपति ने 2 मामलों में दया याचिका को किया खारिज, जानें मामला...

      वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी  25 जुलाई को अपना पद छोड़ेंगे। लेकिन  पद छोड़ेंने के  एक माह पहले राष्‍ट्रपति ने 2 मामलों में दया याचिका को खारिज कर दिया।
जानें खारिज की गई याचिकाओं के बारें में 
पहला केस 2012 का है, जिसमें चार साल की एक बच्ची का रेप और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी। यह केस  इंदौर है। जिसमें बाबू उर्फ केतन (22), जितेंद्र उर्फ जीतू (20) और देवेंद्र उर्फ सनी (22) ने चार साल की बच्ची का अपहरण कर उसका रेप और हत्या करने का आरोप लगा था, जिसमें सभी दोषी पाए गए हैं।
 दूसरा केस पुणे का है, जिसमें कैब ड्राइवर पर अपने साथी के साथ मिलकर युवती का रेप और हत्या के मामले में दोषी हैं। जिसमें पुरुषोत्म दसरथ बोरेट और प्रदीप यशवंद कोकडे को विप्रों में काम करने वाली एक 22 वर्षिय युवती की हत्या और रेप के मामले में दोषी पाया गया है। इन मामलों में कोर्ट ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है।
 दोनों केस राष्ट्रपति को अप्रैल और मई में भेजे गए थे। 
     *गुरुग्राम के डूंडाहेड़ा में एक सात साल की बच्ची के साथ एक ऑटो चालक ने कथित तौर पर रेप किया। रेप के बाद बच्ची की हालत गंभीर है। पीड़िता को सफदरजंग हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया है।
पुलिस ने सीसीटीवी की मदद से रेप के आरोपी ऑटो चालक को गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। आज उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा।
पीड़ित परिवार डूंडाहेड़ा में रहता है। बताया जा रहा है कि रविवार रात एक ऑटो चालक कमल सिंह बच्ची और उसके 10 साल के भाई को फुसलाकर अपने साथ ले गया। भाई को रास्ते में छोड़कर ऑटो चालक बच्ची को सुनसान जगह पर ले गया। यहां उसने बच्ची से रेप किया।
रेप के बाद आरोपी ने दोनों को उनके घर के पास छोड़ गया। बच्ची की खराब हालत देख कर परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। इसके बाद बच्ची को सिविल हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया।
जिसके बाद यहां से उसे दिल्ली रेफर कर दिया गया। पुलिस ने एरिया में लगे सीसीटीवी की फुटेज खंगाली। इसमें बच्ची के भाई ने आरोपी को पहचान लिया।
जिसके बाद चालक को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है। बच्ची की हालत गंभीर है।
  • * यूपी के ग्रेटर नोएडा में एक महिला के साथ कार में गैंगरेप की वारदात सामने आई है। खबर है कि महिला को आरोपियों ने हरियाणा के सोहना से किडनैप किया। इसके बाद गैगरेप की वारदात को अंजाम देकर ग्रेटर नोएडा के कासना इलाके में फेंक दिया।  ग्रेटर नोएडा पुलिस ने इस पूरे मामले पर केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
    जानकारी के मुताबिक, हरियाणा के सोहना की रहने वाली 35 साल की महिला को तीन लोगों ने स्विफ्ट कार से सोमवार की शाम 8 बजे अगवा कर रातभर सड़कों पर घुमाते रहे और गैंगरेप करते रहे। इसके बाद पीड़िता को ग्रेटर नोएडा के कासना इलाके में लाकर फेंक दिया।
    मंगलवार की सुबह जब लोगों की नजर महिला पर पड़ी, तो पुलिस को फोन करके इसकी जानकारी दी और मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ महिला के बयान पर जीरो एफआईआर दर्ज कर लिया है। पुलिस को पूछताछ में पता चला कि पीड़िता भरतपुर राजस्थान की रहने वाली है, जो 10 दिन पहले सोहना आई थी।
    पुलिस के मुताबिक, पीड़िता की मेडिकल जांच कराई जा रही है। इसके बाद ही पीड़िता को सोहना ले जाया जाएगा, क्योंकि वारदात हरियाणा के सोहना में हुई है, इसलिए स्थानीय पुलिस से संपर्क करके उसे जांच सौंपी जाएगी। पुलिस ने बताया कि इस वारजाद के बाद से आरोपी फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। 
  •   ये घटनाएं स्पष्ट तौर पर यह सन्देश दे रही हैं कि अपराधी अब बेख़ौफ़ हैं उनपर भारतीय कानून का कोई असर अब नहीं है .उनकी साफ तौर पर यह चेतावनी हम सबको दिखाई दे रही है जो कानून के ''सेर पर खुद को सवा सेर '' मान भी रही है और साबित भी कर रही है .ये बात जब सबको दिखाई दे रही है तो कानून के नुमाइंदो को क्यों नज़र नहीं आ रही हैं .दुष्कर्म सम्बन्धी मामलों को सुनने के लिए और उनके त्वरित निबटारो द्वारा इस समस्या पर कुछ लगाम कसने की आशा की जा सकती है अगर सरकार इस ओर ध्यान दे .

  • शालिनी कौशिक 
  •   [कौशल ]




सोमवार, 19 जून 2017

आहार से उपजे विचार ही शिशु के व्यक्तित्व को बनाते हैं

आहार से उपजे  विचार ही  शिशु के व्यक्तित्व को बनाते हैं


क्या मनुष्य केवल देह है या फिर उस देह में छिपा व्यक्तित्व?
यह व्यक्तित्व क्या है और कैसे बनता है?

भारत सरकार के आयुष मन्त्रालय द्वारा हाल ही में गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं जिसमें कहा गया है कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को माँस के सेवन एवं सेक्स से दूर रहना चाहिए।
इस विषय पर जब आधुनिक विज्ञान के डाक्टरों से उनके विचार माँगे गए तो उनका कहना था कि  गर्भावस्था में महिला अपनी उसी दिनचर्या के अनुरूप जीवन जी सकती है जिसका पालन वह गर्भावस्था से पूर्व करती आ रही थी। अगर शारीरिक रूप से वह स्वस्थ है तो गर्भावस्था उसके जीवन जीने में कोई पाबंदी या बंदिशें लेकर नहीं आती।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की सबसे बड़ी समस्या यह ही है कि वह इस मानव शरीर के केवल भौतिक स्वरूप को ही स्वीकार करता है और इसी कारण  चिकित्सा भी केवल भौतिक शरीर की ही करता है।
जबकि भारतीय चिकित्सा पद्धति ही नहीं भारतीय दर्शन में भी मानव शरीर उसके भौतिक स्वरूप से कहीं बढ़कर है।  जहाँ आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में स्वास्थ्य की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है, वह रोग के आभाव को ही स्वास्थ्य मानता है उसके अनुसार स्वस्थ व्यक्ति वह है जिसके शरीर में बीमारियों का आभाव है और शायद इसीलिए  अभी भी ऐसे अनेक प्रश्न हैं जिनके उत्तर वैज्ञानिक आज तक खोज रहे हैं।
लेकिन भारतीय चिकित्सा पद्धति की अगर बात करें तो आयुर्वेद में स्वास्थ्य के विषय में कहा गया है,
समदोषा: समाग्निश्च समधातु मलक्रिय: ।
प्रसन्नात्मेन्द्रियमन: स्वस्थ इत्यभिधीयते ।।
अर्थात जिस मनुष्य के शरीर में सभी दोष अग्नि धातु मल एवं  शारीरिक क्रियाएँ समान रूप से संचालित हों तथा उसकी आत्मा शरीर तथा मन प्रसन्नचित्त हों इस स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं और ऐसा मनुष्य स्वस्थ कहलाता है।
1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्वास्थ्य या आरोग्य की  परिभाषा देते हुए कहा है कि,
" दैहिक,मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना ही स्वास्थ्य है"
कुल मिलाकर सार यह है कि मानव शरीर केवल एक भौतिक देह नहीं है वह उससे बढ़कर बहुत कुछ है क्योंकि आत्मा और मन के अभाव में इस शरीर को शव कहा जाता है             
और जब एक स्त्री शरीर में नवजीवन का अंकुर फूटता है तो माँ और बच्चे का संबंध केवल शारीरिक नहीं होता।
आज विभिन्न अनुसंधानों के द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि हम जो भोजन करते हैं उससे हम न सिर्फ शारीरिक पोषण प्राप्त करते हैं अपितु हमारे विचारों को भी खुराक इसी भोजन से मिलती है।
जैसा आहार हम ग्रहण करते हैं वैसा ही व्यक्तित्व हमारा बनता है।
इसलिए चूँकि गर्भावस्था के दौरान शिशु माता के ही द्वारा पोषित होता है जो भोजन माँ खाएगी शिशु के व्यक्तित्व एवं विचार उसी भोजन के अनुरूप हो होंगे।
इसी संदर्भ में महाभारत का एक  महत्वपूर्ण प्रसंग का उल्लेख यहाँ उचित होगा कि किस प्रकार महाभारत में अभिमन्यु को चक्रव्यूह के भीतर जाने का रास्ता तो पता था लेकिन बाहर निकलने का नहीं क्योंकि जब अर्जुन सुभद्रा को चक्व्यूह की रचना और उसे भेदने की कला समझा रहे थे तो वे अन्त में सो गई थीं।
इसलिए माँ गर्भावस्था के दौरान कैसा आहार विहार रखती है कौन सा साहित्य पढ़ती है या फिर किस प्रकार के विचार एवं आचरण रखती है वो शिशु के ऊपर निश्चित ही प्रभाव डालते हैं।
जिस प्रकार माता पिता के रूप और गुण बालक में जीन्स के द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित होते हैं उसी प्रकार गर्भावस्था में माँ का आहार विहार भी शिशु के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
प्रकृती में भी किसी  बीज के अंकुरित होने में मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों एवं जलवायु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इसलिए गर्भावस्था किसी महिला के लिए कोई पाबंदी या बंदिशें बेशक लेकर नहीं आती
हाँ लेकिन (अगर वह समझें  तो) एक अवसर और जिम्मेदारी निश्चित रूप से लेकर आती है कि अपने भीतर पोषित होने वाले जीव के व्यक्तित्व निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका और उसकी गंभीरता को समझें। क्योंकि यह जीव जब इस दुनिया में प्रवेश करेगा तो न सिर्फ उसके जीवन का अपितु उस समाज का, इस देश का भी हिस्सा बनेगा।
भरत को एक ऐसा वीर बालक बनाने में जिसके नाम से इस देश को नाम मिला उनकी माँ शकुन्तला का ही योगदान था।
शिवाजी की वीर छत्रपति शिवाजी बनाने वाली जीजाबाई ही थीं।
तो ईश्वर ने स्त्री को सृजन करने की शक्ति केवल एक शिशु के भौतिक शरीर की नहीं उसके व्यक्तित्व के सृजन की भी दी है।
आवश्यकता स्त्री को अपनी शक्ति पहचानने की है।
डॉ नीलम महेंद्र

गुरुवार, 8 जून 2017

नारी की आपराधिक भागीदारी

ईरान की संसद और खोमैनी के मकबरे पर इस्लामिक स्टेट के हमलों में 12 की मौत

ईरान की संसद और खोमैनी के मकबरे पर इस्लामिक स्टेट के हमलों में 12 की मौत

 ईरान की संसद और यहां के क्रांतिकारी संस्थापक रूहुल्लाह खोमैनी के मकबरे पर बुधवार को बंदूकधारियों और आत्मघाती हमलावरों ने सुनियोजित हमले किए, जिसमें कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई. इस्लामिक स्टेट समूह ने हमले की जिम्मेदारी ली है.

लगातार कई घंटे तक की गई गोलीबारी में दर्जनों लोग घायल हुए हैं. आईएस ने अपनी अमाक एजेंसी के जरिये एक वीडियो जारी किया है, जिसमें हमलावर भवन के भीतर नजर आ रहे हैं. हमले के जारी रहते हुए जिम्मेदारी लेने का यह दुर्लभ मामला है. पुलिस ने बताया कि हमला शुरू होने के करीब पांच घंटे बाद अपराह्न तीन बजे के करीब तक सभी हमलावरों को मार गिराया गया. समाचार एजेंसी आईएसएनए के अनुसार तेहरान के संसद परिसर पर चार बंदूकधारियों ने राइफल और पिस्तौल से हमला किया. इस हमले में एक सुरक्षा गार्ड और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक वे महिलाओं के परिधान में थे और पर्यटकों के प्रवेश द्वार से घुसे थे. करीब-करीब उसी समय शहर के दक्षिण क्षेत्र में स्थित खोमैनी के मकबरे के परिसर में तीन-चार सशस्त्र हमलावर घुस आए, उन्होंने कथित तौर पर एक माली की हत्या कर दी इस हमले में कई और लोग घायल हो गए. खोमैनी ने वर्ष 1979 में इस्लामिक आंदोलन की अगुवाई की थी. ईरान की आपात सेवाओं के अनुसार दो हमलों में कम से कम 12 लोग मारे गए और 39 घायल हुए.
स्थानीय मीडिया के अनुसार दो हमलावरों ने मकबरे के बाहर खुद को उड़ा लिया. हमलावरों में कम-से-कम एक महिला शामिल थी. एक अन्य ने संसद भवन की चौथी मंजिल पर खुद को उड़ा लिया. हमले के समय संसद का सत्र चल रहा था और फुटेज में आसपास के कार्यालय की भवनों में मुठभेड़ के बावजूद कामकाज चलते दिख रहा है.
   ऐसा कुछ भी विशेष नहीं है इस समाचार में जो आज तक न हुआ हो और आगे नहीं होगा लेकिन अगर कुछ विशेष है तो वह है हमलावरों का महिलाओं की वेशभूषा में होना और हमलावरों में एक महिला का भी शामिल होना ,महिला का भी ऐसा नहीं है कि वह पहली बार किसी ऐसी घटना में शामिल हो रही हो लेकिन आज जो स्थिति बनती जा रही है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि महिलाओं की विशेष स्थिति को नज़रअंदाज करना होगा साथ ही इस मासूम चेहरे के पीछे छिपी कुटिलता को भी पहचानना ज़रूरी होगा .
   महाराष्ट्र इस बात का गवाह है कि २०१० से लेकर २०१२ तक भारतीय राज्यों में बहुत सी महिलाएं भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत गिरफ्तार की गयी हैं .नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार ९०,८८४ महिलाएं तीन साल की अवधि में भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत गिरफ्तार की गयी हैं .आंध्र प्रदेश में ५७,४०६ महिलाएं ,४९,३३३ महिलाएं मध्य प्रदेश में ,४९,०६६ महिलाएं तमिल नाडु में और ४१,८७२ महिलाएं गुजरात में अपराधी के रूप में गिरफ्तार की गयी हैं .महिलाओं का अपराध के क्षेत्र में सक्रीय होना ही आज महिला पुलिस की संख्या में बढ़ोतरी का  कारण है .
   हमें आज भी याद है २१ मई १९९१ को रात के १० बजकर २० मिनट का वह समय जब रेडियो  पर समाचार एकदम बंद हुए और समाचारवाचक ने तमिलनाडु के पेरम्बुदूर में एक आत्मघाती हमले में हम सबके प्रिय राजीव गाँधी जी के मारे जाने की सूचना दी और इस आत्मघाती हमले में भी एक महिला '' धानु'' शामिल थी .
       मोनिका बेदी का अंडरवर्ल्ड सम्बन्ध ,ममता कुलकर्णी का ड्रग्स मामले में भगोड़ा घोषित किया जाना ,जगह जगह बैंकों से महिलाओं द्वारा पैसे छीनकर भागना सब देख रहे हैं जान रहे हैं .
    बचपन में एक गाना सुनते थे -
'' जवान हो या बुढ़िया ,
 या नन्हीं सी गुड़िया 
  कुछ भी हो औरत 
 ज़हर की है पुड़िया .''
और इस पर चिढ जाते थे किन्तु धीरे धीरे नारी का वह रूप भी देखा जो वाकई जहरीला है .दहेज़ जो हमारे समाज का कलंक है ,कोढ़ है उसकी सबसे बड़ी जिम्मेदार महिला ही है ,दामाद सास ससुर को कष्ट कम ही देते होंगे किन्तु बहु सास ससुर का जीना ज़रूर दुश्वार कर देती है.
  सब देख रहे हैं आज नारी हर दिशा में हर क्षेत्र में नाम ऊँचा कर रही है फिर अपराध में ही क्यों पीछे रहे .सब कहते हैं कि '' हर कामयाब मर्द के पीछे किसी औरत का हाथ होता है '' तो सच ही कहते हैं आज हर कामयाब बदमाश का साथ देने को नारी कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही है और यह कह रही है -
''तू जहाँ जहाँ चलेगा ,मेरा साया साथ होगा .''

शालिनी कौशिक 
   [कौशल ]

मंगलवार, 6 जून 2017

मोहब्बत तेरी बेटी को ......

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अगर बिन दर्द के अपने मुझे तू क़त्ल कर देता ,
खुदा अपने ही हाथों से ये तेरी सांसें ले लेता ,
जन्म मेरा ज़मीं पर चाहा कब कभी किसने
जुनूनी कोई भी बढ़कर कलम ये सर ही कर देता .
................................................................
दिलाओ मुझको हर तालीम हवाले फिर कहीं कर दो ,
भला अपने जिगर का टुकड़ा कोई ऐसे दे देता ,
तड़प जाती हैं रूहें भी हकीकत सोच कर ऐसी
मोहब्बत तेरी बेटी को कोई तुझसी नहीं देता .
............................................................
लुटाकर के जहाँ अपना हैं तुमने बेटियां पाली ,
लुटे वो और घर जाकर ये कैसे देख तू लेता ,
जमाना कितना ज़ालिम है ये जाने हैं जहाँ वाले
नहीं ऐसे में बेटी को जनम का दर्द है देता .
.........................................................
खिलाया अपने आँगन में जिसे नन्हीं चिरैया सी ,
उसे वो बाज़ के हाथों परोसकर नहीं देता ,
तेरी आँखों का जो तारा ,तेरी जो गोद की गुड़िया
वो तड़पे एक-एक दाने को सहन तू कैसे कर लेता .
...............................................................
ज़माने ने भरे हैं दर्द गहरे जिसके जीवन में ,
उसे इस धरती पर लाकर नहीं तू और दुःख देता ,
तभी तो ''शालिनी''जाने तुम्हारी बात मन की ये
खुदा से पहले ही उसको तू बढ़कर क़त्ल कर देता .
................................................................
शालिनी कौशिक
[कौशल]

शनिवार, 3 जून 2017

प्रियंका और प्रधानमंत्री जी


    भारतीय संस्कृति ,जिसका हम इस विश्व में बहुत बढ़-चढ़ कर गुणगान करते हैं अब लगता है उसकी तरफ से मुंह फेरने का वक़्त नज़दीक आ गया है .कहने को यहाँ मेरी सोच को पुरातनवादी कहा जायेगा ,पिछड़ी हुई कहा जायेगा ,बहनजी सोच कहा जायेगा किन्तु क्या यही आप सब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून की पत्नी सामंथा के लिए भी कहेंगे जिन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भारतीय होने के सम्मान में भारतीय परिधान साड़ी को अपनाया और नरेंद्र मोदी जी के सामने उपस्थित हुई जिसकी नाममात्र की भी अक्ल भारतीय अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा में नहीं दिखाई दी.
       जहाँ तक भारतीय संस्कृति की बात है उसमे अपने बड़ों के सामने ऐसी बचकानी हरकतों से बचा जाता है जिन्हें हम अपने हमउम्र साथियों के साथ करते रहते हैं लेकिन यहाँ तो स्थिति उलटी ही दिखाई दी ,प्रियंका ने न केवल विदेशी परिधान पहने बल्कि खुली टांगों में अपने पैरों को एक दूसरे के ऊपर रख प्रधानमंत्री के ठीक सामने बैठ गयी जो कि पूरी तरह से भारतीय संस्कृति के विपरीत हरकत थी .
        देखने में आ रहा है कि आने वाली भारतीय पीढ़ी तरक्की के नाम पर सबसे पहले जिस तरफ तरक्की कर रही है वह तरक्की है ही कपड़ों का शरीर पर कम  करना और इसकी शुरुआत फिल्मे तो बहुत पहले कर चुकी हैं लेकिन राष्ट्रीय पुरुस्कारों में जिस नामचीन शख्सियत ने ये शुरुआत की वह भी दुर्भाग्य से प्रियंका चोपड़ा ही हैं .राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी के सामने प्रियंका जिस वेशभूषा में पुरुस्कार लेने गयी ,चेहरे पर शर्म का लेशमात्र भी नहीं था जबकि देश के सर्वोच्च पद पर आसीन प्रतिभा जी जिन वस्त्रों में भारतीय संस्कृति को गौरवान्वित कर रही थी उन्हें देख बेशर्मी को भी स्वयं पर शर्म आ जाती .
     

     प्रियंका की ही पहल थी कि पिछले राष्ट्रीय पुरुस्कार समारोह में कंगना रनौत ने भी शर्म को आइना दिखा दिया और ऐसी वेशभूषा में इतनी बेशर्मी से वहां आई कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी तक को पुरुस्कार देते हुए आँखें झुकानी पड़ी .
     क्या यही है नारी सशक्तिकरण जो नारी के शरीर के वस्त्रों के कम होने पर ही दिखाई दे देता है .ये बात सही है कि कहीं कहीं शरीर पर कम कपड़ों की आवश्यकता होती है जैसे सानिया मिर्जा के टेनिस में शरीर पर खेल के लिए निश्चित वस्त्रों की ही आवश्यकता होती है ,एक पहलवान शरीर पर पूरे कपडे पहनकर पहलवानी नहीं कर सकता लेकिन जहाँ आप किसी के साथ औपचारिक रूप से बातचीत कर रहे हैं वहां ऐसे अंगदिखाऊ कपड़ों की क्या आवश्यकता है ?
    इस तरह से ये प्रसिद्द अभिनेत्री भारतीय नारियों के लिए समाज में रहने लायक माहौल समाप्त कर रही हैं क्योंकि समाज में शिष्टता का जो माहौल है वह इनका अनुसरण करने वालियों द्वारा निश्चित समाप्त कर दिया जायेगा क्योंकि आज ये या इनका अनुसरण करने वाली ही तरक्की वाली हैं बाकि सबकी नज़रों में ''बहनजी '' हैं ,''पिछड़ी हुई '' हैं और हर कोई तो नहीं लगभग अधिकांश  अपनी वाली में इन्हें ही ढूंढता है अब ये तो समाज में हर किसी से मिलेंगी नहीं और हर कोई अपनी मिलने वाली में इन्हें ढूंढेगा और जब ये नहीं मिलेंगी तो उसे जहाँ ये मिलेंगी वहां फिसल जायेगा मतलब हो गया न समाज का भी सशक्तिकरण ,घर टूटेगा और घर परिवार बढ़ेगा ''लिव-इन '' की तरफ.अब और पता नहीं क्या क्या होगा ?
    ऐसे में सर्वोच्च पद पर विराजमान हमारे प्रधानमंत्री जी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है वे अपने इस देश को संभालें और इन देशवालियों को भी जो इस पूरे देश में अराजकता फ़ैलाने में जुटी हैं .

शालिनी कौशिक
     [कौशल ]