या देवी सर्व-भूतेषु -- नारी को श्रृद्धा -नमन क्यों नहीं ?
नवरात्र .... देवी रूपा नारी के विभिन्न भाव रूपों की पूजा का उत्सव हैं.....
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj0Htf5FXQO_AiG52TqvYpD-2_5nMljoBCzJqW2QQRPmK3aNhqWOIkLmzS3KZOvIu6u-A88lzPswQWkAVXhTG4lyNaJ-OwRIxtqZKx_AClhzRrK3tOVHEHARxhypz8p3Krv1eUrL3nlJ-cp/s1600/220px-Bibracte_Deesses,+greek,gaul.jpg) |
तीन देवियाँ ---ग्रीस ( रोमन) |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4CeHzPNQzl2wiTasDTzRjaLCSCEb7fg6hUhRkGAcy-B0thS5IMGY0IlSxGS6212hILJvJToWolpZTcJn_T304dmZICU9RZipw4S99cYSmE0Zvk7UWuWHTq2clPZXI2YwiQ3RT4_hTRXPy/s1600/Qetesh_relief_plaque_(Triple_Goddess_Stone)-egypt%2B.png) |
त्रि देवी ...मिस्र |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKptcou1bePX52DibTX9YyCAXwnjs7b1K1_FUEmIqaXccb4isao9rYxhqYzSrSUZGGku471SJBJOaw1egO-vXwJo9G23AaFWV_uVpLdCcMUBUCJMvNW8OYUu6k2rd5Xi7gJ8YRgqPAznFZ/s1600/parvati.jpg) |
पार्वती |
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgaam3PmBnVplXQTYZo-ul0xl3KlMpDa8pcXS9iNZxNuA-WXyEgM7xTCYCwLpjjD7G5EBQXxQI4nEyxEtjsWskfw8Ws2vtzpa1kYwNJM7Rteg9RKTRWMrZf3zNp4BOXsNeiuAlOtRmY3pN-/s1600/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%80++%CE%A8--%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%87+%E0%A4%AC%E0%A4%B2+%E0%A4%95%E0%A4%BE+%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A3%E0%A4%A8+%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A8%E0%A5%87+%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82+%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D+%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97,+%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%80+%E0%A4%A4%E0%A4%A5%E0%A4%BE+%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%9C%E0%A5%80+%E0%A4%AD%E0%A5%80+%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5+%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%82+%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82,.jpg) |
महा भगवती --जिनका वर्णन करने में स्वयं त्रिदेव भी सक्षम नहीं |
सृजन की ईशत-सत्ता, परमतत्व, परब्रह्म की कार्यकारी शक्ति जहां असीम ब्रह्म में प्रकृति, माया या आदि शक्ति है ...वहीं ससीम विश्व में वह शक्ति व नारी
रूपा
है | अतः परमतत्व को समझने के लिए उससे बढ़कर श्रेष्ठतर तत्व और क्या हो सकता है| जहां देवी, दुर्गा, काली, गौरी, लक्ष्मी, राधा, सीता, योगिनी, त्रिपुर सुन्दरी आदि ... शक्ति के विभिन्न नाम-रूपों की पूजा की जाती रही है; वहीं नारी के सखा, माँ, भगिनी, प्रेयसि, पत्नी आदि विभिन्न सामाजिक,
पारिवारिक रूप संसार व जीवन-जगत में महत्वपूर्ण हैं | अतः नारी सदैव ही समाज की केन्द्रीय भूमिका में रहती आयी है| शक्ति-रूपा नारी सदैव ही मानव के श्रृद्धा व अन्तःस्फूर्ति का केंद्र है एवं सदा होना चाहिए |
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष रूपी जीवन तत्व व संसार तत्व को समझने व उसकी प्राप्ति व सिद्धि के लिए मनुष्य रिद्धि-सिद्धि,
योग,
व्यापार,
कला
, राजनीति, धर्म आदि का अवलंबन लेते हैं | परन्तु जीवन तत्व स्वयं जिसका प्रलेख है एवं परमात्म-सत्ता स्वयं को व्यक्त करने हेतु जिसका आलंबन लेती है उस अखंड मातृसत्ता से अन्यथा आलंबन इस संसार चक्र के हेतु और क्या हो सकता है ? तो उसी "या देवी सर्व भूतेषु
"...
मातृरूपा
..नारी,
स्त्री
को
सदैव
श्रृद्धा-नमन की दृष्टि द्वारा हम क्यों नहीं देख सकते ... क्यों उस पर अत्याचार ..अनाचार के लिए तत्पर हो जाते हैं |