
नारी
हर कसौटी पर सफल नारी, कार्य दक्ष सदा रही |
हाँ चाँद-सूरज की चमक थी, क्षीण उसकी चमक से |
वह चमक आज विलीन होती, देह-दर्शन दमक से ||
नर की कसौटी पर रहे नारी स्वयं शुचि औ सफल |
वह कसौटी है उसीकी परिवार हो सात्विक सुफल |
होजाय जग सुंदर सकल यदि वह रहे कोमल, सजल |
नर भी उसे दे मान जीवन बने इक सुंदर गज़ल ||