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शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011

हरिगीतिका छंद----नारी...डा श्याम गुप्त ...


      
             
                





                       नारी
हर कसौटी पर सफल नारी,  कार्य दक्ष सदा रही |
युग श्रम-विभाजन के समय थी, पक्ष में गृह के वही |
 हाँ  चाँद-सूरज की चमक थी, क्षीण उसकी चमक से |
वह चमक आज विलीन होती, देह-दर्शन दमक से ||


नर की कसौटी पर रहे नारी स्वयं शुचि औ सफल |
वह कसौटी है उसीकी परिवार हो सात्विक सुफल |
होजाय जग सुंदर सकल यदि वह रहे कोमल, सजल |
नर भी उसे दे मान जीवन  बने इक सुंदर गज़ल ||