शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

समाज की संवेदनहीनता



1 टिप्पणी:

डा श्याम गुप्त ने कहा…

कोइ क्या टिप्पणी करे --
-यह सब अतिशयोक्ति है ----जब १० लडके एवरेस्ट चढते हैं तो एक बेटी भी चढ़ जाती है .....कहने की कोइ बात ही नहीं
--बेटे गिराते हैं तो कई बार बेटियाँ भी गिराती हैं ....
---दोनों में कोइ अंतर नहीं है , परन्तु बेटों को दबा-कुचल-कोसकर बेटियों को थोड़े ही आगे बढ़ाना है इससे तो अच्छा है वे पीछे ही रहें ....
---हमें समग्र समाज को आगे लेजाना है, यह वही गलती है जो जातिगत आरक्षण के साथ होरही है....