अपना सबने कहा पर अपना कोई न सका
मुझे जाना सबने पर समझ कोई न सका
मेरे चेहरे की मुस्कान सबने देखी पर
मेरी आखों का दर्द कोई न देख सका
मेरी जरुरतो को तो पूरा किया पर
चाहतो को हमेशा अनदेखा किया
मुझे सहारा तो सबने दिया पर
अपने पैरो पर उठना किसी न सिखाया
मुझे सही गलत का फर्क तो बताया
पर गलत के खिलाफ लड़ना न सिखाया
मुझे सपने देखने की इज़ाज़त तो दी पर
उन्हें पूरा करने की शक्ति नहीं दी
मेरे रूप रंग को सबने निहारा पर
मेरे मन को कभी किसी का न मिला सहारा
मुझे पंख तो मिले पर
उड़ने की इज़ाज़त नही
मुझे बेटी होने का हक़ तो दिया पर
बेटी का सम्मान नहीं .............
मुझे जाना सबने पर समझ कोई न सका
मेरे चेहरे की मुस्कान सबने देखी पर
मेरी आखों का दर्द कोई न देख सका
मेरी जरुरतो को तो पूरा किया पर
चाहतो को हमेशा अनदेखा किया
मुझे सहारा तो सबने दिया पर
अपने पैरो पर उठना किसी न सिखाया
मुझे सही गलत का फर्क तो बताया
पर गलत के खिलाफ लड़ना न सिखाया
मुझे सपने देखने की इज़ाज़त तो दी पर
उन्हें पूरा करने की शक्ति नहीं दी
मेरे रूप रंग को सबने निहारा पर
मेरे मन को कभी किसी का न मिला सहारा
मुझे पंख तो मिले पर
उड़ने की इज़ाज़त नही
मुझे बेटी होने का हक़ तो दिया पर
बेटी का सम्मान नहीं .............