किशोरी बबली छत पर कपड़े सुखा रही थी और उसके साथ छत पर ही खड़ा उसका छोटा किशोर भाई बिल्लू नीचे सड़क पर आती-जाती लड़कियों को देखकर बड़बड़ाये जा रहा था . .बबली ने कपड़े सुखाने के बाद बिल्लू को डांटते हुए कहा -'' क्या बड़बड़ाये जा रहा है ?'' बिल्लू सड़क पर जाती एक लड़की की ओर इशारा करते हुए बोला -'' देख जिज्जी क्या पहन कर जा रही है वो लड़की ! शर्म नहीं आती इसे .लड़कों को बिगाड़ कर रख दिया है इन्होंने !'' बबली ने बिल्लू के सिर पर चपत लगाते हुए कहा -''लड़को को इन्होंने नहीं बिगाड़ा ..लड़के खुद ही बिगड़े हुए हैं ...तुम ध्यान क्यों देते हो इन पर ?तुम गौर करना छोड़ दो ये खुद सलीके के कपड़े पहनने लगेंगी और तू ...तू क्या किसी और को कह रहा है ...खुद केवल निक्कर पहन कर यहाँ खुले में आकर खड़ा हो गया ..अब कोई लड़की तुझे देख ले तो तू उस लड़की को ही बेशर्म कहेगा कि तुझ नंगे को देख रही है या उसे बिगाड़ने की जिम्मेदारी खुद पर लेगा .'' ये कहकर बबली हँसते हुए सीढ़ियों की ओर बढ़ ली और बिल्लू फिर से सड़क पर आती-जाती लड़कियों को निहारने में व्यस्त हो गया .
शिखा कौशिक 'नूतन'
2 टिप्पणियां:
sahi khaka kheecha hai .aabhar
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