''अजी सुनते हैं ...जरा अन्दर तो आइये जल्दी से ...!'' दबी जुबान में घबराई सुमित्रा ने स्वागत कक्ष में लड़के वालों की मेहमान नवाज़ी में जुटे अपने पतिदेव नरेन्द्र बाबू को बुलाया तो वे लड़केवालों से हाथ जोड़कर क्षमा मांगते हुए ''अभी आता हूँ लौटकर ...आप नाश्ता कीजिये प्लीज '' ये कहकर मन ही मन खीजते हुए शयन कक्ष की ओर चल दिए .शयन कक्ष में पहुँचते ही वे सुमित्रा पर बिफर पड़े -''कमाल करती हो ...जानती हो ना बाहर कौन लोग आये हैं और ....और जानकी कहाँ है ?...तैयार नहीं हुई वो अब तक ?'' इससे आगे वे कुछ पूछते सुमित्रा ने भिंची मुट्ठी खोलकर एक मुसा हुआ कागज का टुकड़ा उनकी ओर बढ़ा दिया .नरेन्द्र बाबू आँखों से धमकाते हुए बोले -'' ये क्या है ? ...कर क्या रही हो तुम ?'' इस बार सुमित्रा का धीरज जवाब दे गया .वो दांत पीसते हुए बोली -'' मैं कुछ नहीं कर रही ! आपकी लाडली ही मुंह काला कर भाग गयी है और दो छूट जवान लड़की को ...लो पढो !'' इस बार नरेन्द्र बाबू आवाक रह गए .सुमित्रा के हाथ से कागज का टुकड़ा छीनकर एक एक शब्द ध्यान से पढने लगे .लिखा था -'' पापा मुझे ये शादी नहीं करनी .मैं जा रही हूँ .'' जानकी की लिखाई पहचानते थे वे .नरेन्द्र बाबू के पैरों तले से ज़मीन खिसक गयी .जानकी ऐसा कर सकती है विश्वास नहीं हुआ पर प्रत्यक्ष प्रमाण ठेंगा दिखा रहा था मुंह चिढ़ा चिढ़ाकर .नरेन्द्र बाबू को लगा मानों इसी क्षण से वे दुनिया के सबसे कंगाल व्यक्ति हो गए हैं .जिस बेटी पर नाज़ था वो ऐसा धोखा देगी कभी कल्पना भी नहीं की थी .ये सच था कि समृद्ध परिवार के अमेरिका में बसे लड़के का रिश्ता आते ही उन्होंने जानकी की इच्छा जाने बिना ही रिश्ता तय करने का मन बना लिया था और जानकी को दुनियादारी की दुहाई देकर अंधी-मूक-बधिर बन जाने हेतु विवश कर दिया था लेकिन ये सब जानकी का हित सोचकर ही किया था पर जानकी ने सब के मुंह पर कालिख पोत दी . नरेन्द्र बाबू ने आंसू बहाती सुमित्रा के कंधे पर हाथ रखा और दिल कड़ा कर स्वागत कक्ष की ओर चल दिए .लड़के वाले कुछ व्यग्र नज़र आ रहे थे .नरेन्द्र बाबू ने हाथ जोड़ते हुए कहा -'' क्षमा चाहता हूँ ...पर आज रिश्ते की बात आगे न बढ़ पायेगी .बिटिया की तबियत अचानक ख़राब हो गयी ...आप लोगों को कष्ट हुआ इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ !'' उनके विनम्र निवेदन करने पर लड़के की माँ भड़कते हुए बोली -'' भाईसाहब ऐसी भी क्या तबियत ख़राब हो गयी ...मजाक थोड़े ही है ...हमने अपने बेटे को इसीलिए इंडिया बुलाया था कि एक बार लड़का -लड़की आपस में मिल लें ..पर आप तो हमें लाखों का चूना लगा रहे हैं .अमेरिका से यहाँ तक का किराया कितना लगता है ...जानते तो होंगे आप .....बहाने मत बनाइये सच क्या है बतला दीजिये .आपकी लड़की जैसी हजारों पड़ी है शहर में ...वो तो मेरे बेटे को उसका फोटो 'मैरिज डॉट कॉम' पर पसंद आ गया वरना हम अपनी हैसियत से इतना गिरकर शादी करने को कतई तैयार नहीं थे .आप भी कुछ बोलिए ना !'' ये कहते हुए लड़के की माँ ने लड़के के दुबले-पतले बाप को कोहनी मारी.लड़के के पिता सोफे पर से खड़े होते हुए बोले -''नरेन्द्र बाबू ..मुझे लगता है आपकी बेटी इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं है .सच में आजकल लड़कियां कुछ ज्यादा ही बिगड़ गयी हैं .अपनी मर्जी से पहनना ,घूमना-फिरना ,शादी और भी न जाने क्या क्या !!'' वे इससे आगे कुछ कहते तभी नरेन्द्र बाबू का चेहरा सख्त हो गया .नरेन्द्र बाबू रूखे स्वर में बोले -'' देखिये मैं पहले ही आपको जो असुविधा हुई है उसके लिए खेद प्रकट कर चुका हूँ .आपके बेटे के आने-जाने का जो खर्च हुआ हो वो भी मैं चुका देता हूँ ...प्लीज अब आगे कुछ मत कहियेगा !'' नरेन्द्र बाबू के ये कहते ही लड़का थोडा अकड़ता हुआ बोला -'' अंकल यूं नो माई टाइम इज वैरी पिरिशियस ...वो तो मॉम -डैड ने प्रेशर डाला था ...मिडिल क्लास लड़की से तो मैं बात भी नहीं करता ...मैरिज तो ....और हां कहाँ है वो ...कहीं भाग तो नहीं ?'' लड़के के ये कहते ही नरेन्द्र बाबू का हाथ उसे थप्पड़ मारने के लिए उठ गया पर तभी डोर बैल बज उठी .नरेन्द्र बाबू के पीछे खड़ी सुमित्रा तुरंत किवाड़ खोलने के लिए उधर बढ़ ली .किवाड़ खोलते ही उसके आश्चर्य की सीमा न रही .उसके मुंह से अनायास ही निकल पड़ा -'' जानकी तू !!!'' जानकी ने माँ के कंधे पर हाथ रखा और नरेन्द्र बाबू के पास पहुंचकर दूल्हा बनने आये लड़के वालों को संबोधित करते हुए बोली -'' ....मिस्टर फ्रॉड ये देखो मेरे हाथ में हैं तुम्हारे सारे अपराधों से सम्बंधित सबूत ....अमेरिका से आये हो .....ऑटो पकड़कर !!!......और मिडिल क्लास लडकी से बात भी नहीं करते .....किराये की खोली में रहने वाले !!!बाबू जी आप तो इनकी चमक-दमक में खो गए पर मैंने इंटरनेट पर सर्च किया तो जिस कम्पनी में ये अपने को सी.ई.ओ. बता रहा था वो तो कब की दिवालिया घोषित की जा चुकी है और जो टाइम इसने यहाँ इंडिया में अपनी फ्लाईट आने का बताया था उस टाइम पर तो अमेरिका क्या भूटान तक की फ्लाईट नहीं आती .अपनी सहेली प्रिया के पुलिस अंकल की मदद से इसका कच्चा-चिटठा खोजा तो ये जनाब दो दो शादी कर उनको धोखा देने के अपराधी निकले .....ये आप को ज़लील कर रहे थे अब देखिएगा इनका बैंड कैसे बजता है ? '' ये सुनते ही वे तीनों भागने के लिए ज्यों ही गेट की ओर बढे तभी एक अधेड़ महिला ने बाहर से आकर उनका रास्ता रोक दिया और बोली -'' दूल्हे राजा कहाँ भागते हो ? हम गरीबों को लूटकर चैन न पड़ा जो एक और लड़की की जिंदगी बर्बाद करने चले थे .'' इतना कहकर उसने पैरो की चप्पल निकाल ली .वो लड़के के सिर पर चप्पल जड़ने ही वाली थी कि पुलिस की जीप आ पहुंची .पुलिस उन तीनों को लेकर जब वहां से चली गयी तब नरेन्द्र बाबू जानकी के सिर पर हाथ रखते हुए बोले -जानकी तूने कलियुग में भी अपने पिता की लाज रख ली . तूने अपना नाम सार्थक कर दिया .मुझे माफ़ कर दे !'' ये कहते कहते उनका गला भर आया .जानकी ने उनकी हथेली अपनी हथेली में कसते हुए और पास खड़ी माँ को बांहों में लेते हुए कहा -'' बस अब कोई राम ही ढूंढना मेरे लिए .'' जानकी की बात सुनकर नरेन्द्र बाबू और सुमित्रा दोनों हो मुस्कुरा दिए !
शिखा कौशिक 'नूतन'
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार को (27-11-2013) तिनके तिनके नीड़, चीर दे कई कलेजे :चर्चा मंच 1443 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जानकी ने सहीं किया हर लड़की के लिए आर्दशहैं यह कहानी
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