नवयुवक मोंटी ने जींस की अगली जेब में अपना पर्स रखा और कंघी लेकर आईने के सामने खड़ा होकर अपने बाल स्टाइल में काढ़ने लगा तभी सुबह के ट्यूशन से लौटी उसकी छोटी बहन श्रुति लगभग हांफती हुई उसी कमरे में पहुंची और चहकती हुई बोली -'' थैंक्स गॉड ... यू आर स्टिल हियर ....मेरी तो जान ही निकल रही थी कि कही भाई घर से निकल न लिए हो .. भाई प्लीज मेरे लिए भी एक टिकट लेकर आना ...आई स्वैर मैं पैसे दे दूँगी ...प्रॉमिस करो भाई लाओगे मेरे लिए टिकट !'' ये कहकर श्रुति ने अपनी हथेली मोंटी के आगे कर दी .मोंटी ने तपाक से अपनी कंघी उसके हाथ पर रखते हुए कहा -'' स्टूपिड कही की ...मेरी समझ में नहीं आता तुम लड़कियां पुरुषों के क्रिकेट मैच में देखने क्या जाती हो क्रिकेट या क्रिकेटर ?'' श्रुति भड़कते हुए बोली -व्हाट नॉनसेंस .........क्रिकेट देखने जाते हैं भाई !'' मोंटी श्रुति के सिर पर चपत लगाता हुआ बोला -'' पागल समझ रखा है तुमने ...क्रिकेट की शौक़ीन हो तो महिला क्रिकेट क्यों नहीं देखने जाती हो .'' मोंटी के इस सवाल का श्रुति को ढूंढने से भी वैसे ही जवाब नही मिला जैसे महिला खेलों के आयोजन हेतु आयोजक नहीं मिलते !!!
शिखा कौशिक 'नूतन'
4 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रस्तुति-
शुभकामनायें आदरणीया-
कड़वी सचाई ... आयोजक नहीं मिलते महिला खिलाड़ियों को ..
सच कह दिया
शिखा जी एक ही लाईन कहुगाँ ....देखन में छोटे लगे घाव करे गभीर..... आभार
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