मेरी मासूम बेटी ने बिगाड़ा क्या था कमबख्तों ,
उसे क्यूँ इस तरह रौंदा ,ज़रा मुहं खोलो कमबख्तों .
बने फिरते हो तुम इन्सां क्या था ये काम तुम्हारा ,
नोच डाली कली मेरी, मरो तुम डूब कमबख्तों .
मिटाने को हवस अपनी मेरी बेटी मिली तुमको ,
भिड़ते शेरनी से गर, तड़पते खूब कमबख्तों .
दिखाया मेरी बच्ची ने तुम्हें है दामिनी बनकर ,
झेलकर ज़ुल्म तुम्हारे, जगाया देश कमबख्तों .
किया तुमने जो संग उसके मिले फरजाम अब तुमको ,
देश का बच्चा बच्चा अब, देगा दुत्कार कमबख्तों .
कभी एक बेटी थी मेरी करोड़ों बेटियां हैं अब ,
बचाऊंगी सभी को मैं ,सजा दिलवाकर कमबख्तों .
मिला ये जन्म आदम का न इसकी कीमत तुम समझे ,
जो करना था तुम्हें ऐसा ,होते कुत्तों तुम कमबख्तों .
गुजारो जेल में जीवन कीड़े देह में भर जाएँ ,
तुम्हारा हश्र देखकर, न फिर हो ऐसा कमबख्तों .
बद्दुवायें ये हैं उस माँ की खोयी है जिसने दामिनी ,
दुआ देती है ''शालिनी'',पड़ें तुम पर ये कमबख्तों .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
8 टिप्पणियां:
दिल को छू गयी..... इन्सानों को अपनी औकात महसूस कराती हुई कविता...
http://krtkraj.blogspot.in/
अमर हो गई दामिनी, दुनिया से हो मुक्त।
सजी दरिंदों के लिए,फाँसी है उपयेक्त।।
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आपका लिंक चर्चा मंच पर भी है!
बहुत सही आदरेया-
बहुत सुन्दर वहा वहा क्या बात है अद्भुत, सार्थक प्रस्तुरी
मेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
चली गई दामिनी ...बस छोड़ गई पीछे कुछ सवाल।।
हल क्या है किसी को नहीं पता ...
क्या उसके गुनहगारों को सजा मिलना ही काफी है ..
या हर उस बेगुनाह लड़की को भी इंसाफ मिल पायेगा
जो ऐसे हवसियों का शिकर बनती हैं।।
पूरा दर्द बयान करती है एक माँ का !!
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रूहानी प्यार का अटूट विश्वास
dil ko drawit karti rachna .....
बहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई
मेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
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