क्या लिखूं कैसे लिखूं,
अब कुछ लिखा जाता नहीं ;
बेखुदी मैं हम हैं डूबे,
कुछ ख्याल आता नहीं |
उनके ख्यालों की अतल-
गहराइयों में डूब कर ,
होश खो बैठे हैं हम,
अब होश से नाता नहीं |
उनका उठना बैठना,
चलना मचलना उलझना,
बेरुखी और वो रूखे अंदाज़ से,
लट झटकना;
और लिपट रहना -
मेरी यादों से अब जाता नहीं |
अब तो बस उस शोख के ,
दीदार का है इंतज़ार ;
उनकी इस तस्वीर से ,
अब दिल बहल पाता नहीं ||
अब कुछ लिखा जाता नहीं ;
बेखुदी मैं हम हैं डूबे,
कुछ ख्याल आता नहीं |
उनके ख्यालों की अतल-
गहराइयों में डूब कर ,
होश खो बैठे हैं हम,
अब होश से नाता नहीं |
उनका उठना बैठना,
चलना मचलना उलझना,
बेरुखी और वो रूखे अंदाज़ से,
लट झटकना;
और लिपट रहना -
मेरी यादों से अब जाता नहीं |
अब तो बस उस शोख के ,
दीदार का है इंतज़ार ;
उनकी इस तस्वीर से ,
अब दिल बहल पाता नहीं ||
6 टिप्पणियां:
jabardast bhav-
वाह, अद्भुत
सुन्दर एह्सांसों ,भावों से सुसज्जित पोस्ट
अच्छी रचना
कोई बे -कली सी बे -कली है ,बे -कसी सी बे -कसी है ,जिधर देखूं ,नजर तू आए ...बढ़िया प्रस्तुति है आशिकी सी आशिकी है ... .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
रविवार, 1 जुलाई 2012
कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?
डरा सो मरा
http://veerubhai1947.blogspot.com/
कोई बे -कली सी बे -कली है ,बे -कसी सी बे -कसी है ,जिधर देखूं ,नजर तू आए ...बढ़िया प्रस्तुति है आशिकी सी आशिकी है ... .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
रविवार, 1 जुलाई 2012
कैसे होय भीति में प्रसव गोसाईं ?
डरा सो मरा
http://veerubhai1947.blogspot.com/
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