त्याग प्रेम बलिदान की, नारी सच प्रतिमूर्ति ।
दफनाती सारे सपन, सरल समस्या-पूर्ति ।
सरल समस्या-पूर्ति , पाल पति-पुत्र-पुत्रियाँ ।
आश्रित कुल परिवार, चलाती कुशल स्त्रियाँ ।
दफनाती सारे सपन, सरल समस्या-पूर्ति ।
सरल समस्या-पूर्ति , पाल पति-पुत्र-पुत्रियाँ ।
आश्रित कुल परिवार, चलाती कुशल स्त्रियाँ ।
निभा रही दायित्व, किन्तु अधिकार घटे हैं ।
हरते जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं ।।
हरते जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं ।।
6 टिप्पणियां:
सच कह दिया आपने ....-:)
bilkul sahi kaha hai aapne .aabhar
bilkul sahi kaha hai aapne .aabhar
नारी की दशा और शायद समाज में यही दिशा है
true, aabhar
आभार आपका ||
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