शनिवार, 23 जून 2012

अपने बच्चो को आत्महत्या से कैसे बचाएं ?

इंसान के लिए अच्छा क्या है और बुरा क्या है ?
इसे इंसान खुद नहीं जानता . जब तक इंसान अपने पैदा करने वाले के हुक्म को नहीं मानता तब तक वह अच्छा इंसान नहीं बन सकता.
पैदा करने वाला क्या चाहता है ?
आज इसकी परवाह कम लोगों को है. इस धरती पर ज़िंदा रहने का हक़ ऐसे ही लोगों का है. धरती पर जीवन और नैतिकता इन से ही है. दूसरे लोग तो जब तक ज़िंदा रहते हैं अनैतिकता और अनाचार करते हैं और उनमें से बहुत से आत्महत्या करके मर जाते हैं. आज भारत में हर चौथे मिनट पर एक नागरिक आत्महत्या कर रहा है. अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका लांसेट का सर्वे कहता है कि भारत में युवाओं की मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है आत्महत्या। जीवन का अंत करने वाले इन युवाओं की उम्र है 15 से 29 वर्ष है। आमतौर पर माना जाता है कि गरीबी, अशिक्षा और असफलता से जूझने वाले युवा ऐसे कदम उठाते हैं। ऐसे में इस सर्वे के परिणाम थोड़ा हैरान करने वाले हैं। इस शोध के मुताबिक उत्तर भारत के बजाय दक्षिण भारत में आत्महत्या करने वाले युवाओं की संख्या अधिक है। इतना ही नहीं देशभर में आत्महत्या से होने वाली कुल मौतों में से चालीस प्रतिशत केवल चार बड़े दक्षिणी राज्यों  में होती हैं । जबकि शिक्षा का प्रतिशत दक्षिण भारत में उत्तर भारत से कहीं ज़्यादा  है। वहाँ पहले से ही रोजगार के बेहतर मौक़े भी मौजूद हैं। इसके बावुजूद देश के इन हिस्सों में भी आए दिन ऐसे समाचार अखबारों में सुर्खियां बनते हैं । इनमें एक बड़ा प्रतिशत जीवन से हमेशा के लिए पराजित होने वाले ऐसे युवाओं का भी है, जो सफल भी हैं, शिक्षित भी और धन दौलत तो इस पीढ़ी ने उम्र से पहले ही बटोर लिया है। सफल असफल और धनी निर्धन सभी मर रहे हैं. आत्महत्या एक महामारी का रूप ले चुकी है.
आपका बच्चा कब आत्मह्त्या कर , कोई नहीं कह सकता.
आत्महत्या के रुझान को रोकना है , अपने बच्चों को सलामत रखना है तो उसे बचपन से ही सही सोच और ज़िन्दगी का सच्चा मकसद दीजिये . उस पैदा करने वाले मालिक ने अपनी वाणी में यही सब बताया है .
सबका मालिक एक.
उस मालिक का नाम अमृत है. जो आदमी अपनी ख़्वाहिश पर चलता है वह कब आत्महत्या कर ले , कुछ पता नहीं है लेकिन जो अपने पैदा करने वाले उस एक मालिक के दिखाए सीधे रास्ते पर चलता है. वह कभी आत्महत्या नहीं कर सकता क्योंकि उस मालिक ने आत्महत्या को अवैध घोषित कर दिया है.
इसी बात से धर्म की पहचान भी हो जाती है कि धर्म का सच्चा विधान वही है जिसमें आत्महत्या का प्रावधान न हो.
महापुरुष भी वही है जो जीवन की कठिनाइयों का सामना करके उन पर विजय पाकर दिखाए. जो आत्महत्या कर ले, वह महापुरुष नहीं हो सकता. ऐसे लोगों के नाम और काम का चर्चा अपने बच्चों के सामने भूलकर भी न करें वरना वह जानकारी उसके अवचेतन मन में बैठ जाएगी और मुसीबत पड़ने पर वह भी उनकी तरह आत्महत्या कर सकता है.
सच्चे महापुरुषों के मार्ग पर चलकर हम हरेक कठिनाई पर विजय पा सकते हैं.
आओ विजय की ओर
आओ कल्याण की ओर

2 टिप्‍पणियां:

S.N SHUKLA ने कहा…

इस सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकारें .

bhuneshwari malot ने कहा…

bahut sarthak post aabhar