शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

क्योंकि औरत कट्टर नहीं होती !-एक लघु कथा


क्योंकि औरत कट्टर नहीं होती !-एक लघु कथा

'...जिज्जी बाहर निकाल उस मुसलमानी को .!!!'  रमा के घर के बाहर खड़ी भीड़ में से आवाज़ आई .आवाज़ में ऐसा वहशीपन था कि दिल दहल जाये .रमा  ने साडी का पल्ला सिर पर ढका और घर के किवाड़ खोलकर दरवाजे के बीचोबीच खड़ी हो गयी .नज़ारा बहुत खौफनाक था .भीड़ में बबलू का सिर फटा  हुआ था और राजू की कमीज़ फटी हुई थी .खून से सने कपड़ों में खड़ा सोनू ही चीख चीख कर रमा से कह रहा था ''....हरामजादों ने मेरी बहन की अस्मत रौंद डाली ...मैं भी नहीं छोडूंगा इसको ....!!!''रमा  का  चेहरा सख्त हो गया .वो फौलाद से कड़क स्वर में बोली - ''मैं उस लड़की को तुम्हारे  हवाले नहीं करूंगी !!! उसकी अस्मत से खेलकर तुम्हारी बहन की इज्ज़त वापस नहीं आ जाएगी .किसी और की अस्मत लूटकर तुम्हारी बहन की अस्मत वापस मिल सकती है तो ...आओ ..लो मैं खड़ी हूँ ...बढ़ो और .....'' ''जिज्जी !!!!!'' सोनू चीख पड़ा और आकर रमा के पैरों में गिर पड़ा .सारी भीड़ तितर-बितर हो गयी .सोनू को कुछ लोग उठाकर अस्पताल ले गए .रमा पलट कर घर में ज्यों ही घुसी घर में किवाड़ की ओट में छिपी फाटे कपड़ों से बदन छिपती युवती उसके पैरों में गिर पड़ी .फफक फफक कर रोती हुई वो बोली -'' आप न होती तो मेरे जिस्म को ये सारी भीड़ नोंच डालती .मैं कहीं का न रहती !'.रमा ने प्यार से उसे उठाते हुए अपनी छाती से लगा लिया .और कोमल बोली में धैर्य   बंधाते हुए बोली -लाडो डर मत !! धार्मिक उन्मादों में कितनी ही  बहन बेटियों की अस्मत मुझ जैसी औरतों ने बचाई है क्योंकि औरत कट्टर नहीं होती !!

शिखा कौशिक 'नूतन'

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015

दुर्गा देवी रहस्य ...डा श्याम गुप्त

      दुर्गा देवी रहस्य ...

महादेवी दुर्गा को तीन महा-शक्तियों --महाकाली, शक्ति की देवी...महालक्ष्मी
,धन-संमृद्धि की देवी तथा महासरस्वती, विद्या व ज्ञान की देवी ....का सम्मिलित अवतार कहा जाता है |
महादेवी दुर्गा समस्त दानवों, असुरों व दुष्टों व दुष्टता के विनाश का कारण बनती हैं...| इस तथ्य का तात्विक अर्थ है कि जब जब समाज में फैले अनाचार, असुरता आदि के विनाश की आवश्यकता होती है तो वे सभी व्यक्ति व विद्वान् जिनके पास धन बल है...शक्ति है एवं वुद्धि व ज्ञान का बल है सभी को समाज से बुराई को दूर करने हेतु संगठित होकर कार्य करना चाहिए |
भगवान राम ने रावण पर विजय से पूर्व इसी महाशक्ति की आराधना की थी | इसका तत्वार्थ है कि सर्व-शक्तिमान भी जब तक प्रकृति -शक्ति से नहीं जुड़ते ..विजयश्री उन्हें प्राप्त नहीं होती |

विश्व की हर सभ्यता व देश में --सिंह वाहिनी देवी की उपस्थिति है--- चित्र -गूगल साभार ---चित्र विवरण के लिए चित्र पर क्लिक करें --बड़े आकार के साथ देखें ---
अतार्गिस--सीरिया

सिबेल्ला-पोम्पेयी


अशीराह---योरोप--हिब्रू

ताजकिस्तान

अल्लत -सीरिया

ग्रीक---देवी जीयससे लड़ते हुए 

स्केमेट- मिश्र  की युद्ध देवी

इन्नाना--सुमेरिया

जेनेट--रूस

आर्ट---लायन गोडेस --कनाडा

मोहन जोदारो


'दुर्गा --भारत'




'सीरिया -अतार्गिस ..'
'वेंशू --चाइनीज़-तिब्बत'
'सेबेल्ला -पोम्पेयी'
'सिंह वाहिनी---चेल्दियांस'
Drshyam Gupta's photo.
ईस्टर--मेसोपोटामिया
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सिबेले--रोम की ग्रेट मदर
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श्रीलंका
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वेंस्हू ---तिब्बत-चीन

गुरुवार, 1 अक्टूबर 2015

माँ - ग़ज़ल---ड़ा श्याम गुप्त

माँ का वंदन..श्राद्ध पर्व पर ---ग़ज़ल---ड़ा श्याम गुप्त

                              
श्राद्ध पर्व पर ---
Drshyam Gupta's photo.
माँ का वंदन..
फिर आज माँ की याद आई सुबह सुबह |
शीतल पवन सी घर में आयी सुबह सुबह |

वो लोरियां, वो मस्तियाँ, वो खेलना खाना,
ममता की छाँह की सुरभि छाई सुबह सुबह |

वो चाय दूध नाश्ता जबरन ही खिलाना,
माँ अन्नपूर्णा सी छवि भाई सुबह सुबह |

परिवार के सब दर्दो-दुःख खुद पर ही उठाये,
कदमों में ज़न्नत जैसे सिमट आयी सुबह सुबह |

अब श्याम क्या कहें माँ औ ममता की कहानी,
कायनात सारी कर रही वंदन सुबह सुबह ||